खानापट्टी में रामकथा का भव्य समापन: अंतिम दिन के प्रसंगों ने बांधा भक्तों का मन
सिकरारा (जौनपुर): खानापट्टी गांव के रामलीला मैदान में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीरामकथा का सातवां और अंतिम दिन एक अविस्मरणीय भक्ति उत्सव के रूप में सम्पन्न हुआ। इस दिन भगवान श्रीराम के जीवन के चरमोत्कर्ष वाले प्रसंगों—विशेषकर लंका विजय के बाद अयोध्या वापसी, भाई-बंधुओं के साथ राज्याभिषेक और मर्यादा पुरुषोत्तम राम के राजतिलक—ने उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को गहन भाव-विभोर कर दिया। कथावाचक संतोष शरण महाराज और उनकी संगीतमय मंडली ने इन प्रसंगों को अत्यंत जीवंत और मनोहारी ढंग से प्रस्तुत किया, मानो स्वयं राम बारात के दर्शन हो रहे हों। जनकपुर से श्रीराम की बारात के दृश्य को फिर से जीवंत करते हुए, जब राम-सीता का स्वागत और विवाह प्रसंग दोहराया गया, तो पूरा मैदान "जय सियाराम" के उद्घोषों से गूंज उठा। अंतिम प्रसंग में राम के अयोध्या लौटने पर दीपोत्सव और पुष्पक विमान से अवतरण का वर्णन सुनकर श्रद्धालु आनंद के सागर में डूब गए, कईयों की आंखों से भक्ति के अश्रु बह निकले।
यह अंतिम दिन का आयोजन न केवल रामकथा का समापन था, बल्कि भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा का परिपूर्ण चरम भी। कथा के प्रारंभिक दिनों में वनवास, सीता हरण और वानर सेना के संघर्ष जैसे प्रसंगों ने श्रोताओं को बांधे रखा था, लेकिन अंतिम दिन के इन चरम प्रसंगों ने तो पूरे वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। संतोष शरण महाराज ने रामचरितमानस के आधार पर इन प्रसंगों को संगीतमय भजनों से जोड़ा, जहां "राम तारक मंत्र जप" और "अयोध्या नरेश राम आएंगे" जैसे भजनों ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। मंडली के सहयोगी उमेश शास्त्री और आशुतोष महाराज ने तबले, मृदंग और वायलिन के माध्यम से मधुर स्वरों का ऐसा संगम रचा कि रात्रि के अंधेरे में भी मैदान प्रकाशमान हो गया। एक बुजुर्ग श्रद्धालु ने कहा, "ये प्रसंग सुनकर लगता है जैसे राम स्वयं आकर हमें मर्यादा और धर्म का पाठ पढ़ा रहे हैं।"
कार्यक्रम का समापन मुख्य यजमान डॉ. जोखन सिंह और उनकी धर्मपत्नी द्वारा व्यासगद्दी का पूजन-अर्चन से हुआ। इसके बाद उनके पुत्र और प्राथमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष अमित सिंह, व प्रधान प्रतिनिधि सुशील सिंह ने कथावाचक संतोष शरण महाराज, सहयोगी उमेश शास्त्री, आशुतोष महाराज तथा पूरी टीम को अंगवस्त्र, शस्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस सम्मान समारोह में कथा के संरक्षक व समाजसेवी दिनेश सिंह ने कहा, "यह रामकथा न केवल धार्मिक आयोजन था, बल्कि गांव की एकजुटता का प्रतीक भी। अंतिम प्रसंगों ने हमें रामराज्य की कल्पना से जोड़ दिया।"
इस अवसर पर बीडीसी रजनीश सिंह, पत्रकार शरद सिंह, विजय सिंह झब्बर, अनन्त सिंह, शुभेन्द्रू सिंह बाहुल (सेवानिवृत शिक्षक), वेदप्रकाश सिंह, अवधेश सिंह, जयप्रकाश सिंह,आशुतोष सिंह,सौरभ सिंह, अशोक सिंह, विनोद सिंह लंबू, अरविंद सिंह लल्ला, ओमनाथ सिंह, अनिल सिंह, अरविंद सिंह (नेता), संतोष सिंह, जितेंद्र सिंह जंगली, गौरव सिंह (लेखपाल) सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इन सभी ने न केवल आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय योगदान दिया, बल्कि अंतिम दिन के प्रसंगों के बाद सैकड़ों श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण भी सुनिश्चित किया।
सात दिवसीय इस रामकथा ने खानापट्टी को राममय बना दिया था, जो कलश यात्रा से शुरू होकर जन्मोत्सव की झांकी तक चली।

