अपने ख़िताब में मौलाना ने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) की सीरत, इस्लामी समाज में उनके किरदार और अहलेबैत अलैहिस्सलाम की तालीमात को आज की ज़िन्दगी में अपनाने की ज़रूरत पर तफ़सील से रौशनी डाली । उन्होंने कहा कि हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) की ज़िन्दगी इंसानियत के लिए एक बेहतरीन उदाहरण है, जिसमें सबक़ है कि इंसाफ़, सब्र और अज़्म से हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है।
मजलिस से पहले सोज़ख़ानी एहतिशाम जौनपुरी ने अंजाम दी, जिन्होंने रिवायती अंदाज़ से सोज़ के ज़रिए माहौल को ग़मगीन कर दिया। वहीं पेशख़ानी अख़्तर एजाज़ जलालपुरी ने की, जिन्होंने हज़रत फ़तिमा की यादों को ताज़ा किया।
मजालिस के आयोजक मौलाना सफ़दर हुसैन ज़ैदी ने बताया कि मज़लिसों का सिलसिला चार रोज़ तक जारी रहेगा, जिसमें नामवर ख़तीब हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) की ज़िन्दगी और उनके पैग़ाम पर रोशनी डालेंगे।
मजलिस में मौलाना रज़ा अब्बास खान , मौलाना मोहसिन , मुलाना आसिफ़ अब्बास , मौलाना शाजान ज़ैदी , मौलाना अहमद अब्बास , मौलाना शौकत नरवारी , लाडले ज़ैदी , अज़ीज़ हैदर हेलाल , सैय्यद हसन मेहदी , मौलाना आरिफ़ , मोहमद अब्बास समर , खादिम अब्बास , आरिफ़ हुसैनी के साथ बड़ी संख्या में उलेमा, तलबा और अज़ादारों की बड़ी तादाद मौजूद रही ।