राज्यसभा में गूंजा टीईटी अनिवार्यता का मुद्दा
पुराने नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट देने की मांग जोरदार तरीके से उठी
जौनपुर। राज्यसभा में मंगलवार को भाजपा सांसद सीमा द्विवेदी ने शून्यकाल के दौरान टीईटी अनिवार्यता का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। सांसद ने कहा कि आरटीई लागू होने से पूर्व नियुक्त शिक्षक, जो पिछले 20 से 30 वर्षों से देश की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ बने हुए हैं, उन्हें टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त किया जाना चाहिए।सीमा द्विवेदी ने सदन में कहा कि सरकार पीएम-श्री स्कूल, अटल आवासीय विद्यालय, कस्तूरबा गांधी विद्यालय, निपुण भारत मिशन और ऑपरेशन कायाकल्प जैसे अभियानों के जरिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने कहा कि “ये शिक्षक वर्षों से बच्चों को कंप्यूटर, एआई और कोडिंग जैसे आधुनिक विषय पढ़ा रहे हैं। लगातार प्रशिक्षण और अनुभव के दम पर ग्रामीण भारत के करोड़ों बच्चों का भविष्य ये शिक्षक संवार रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद वही शिक्षक भारी तनाव और अवसाद में हैं। जो गुरु बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाते हैं, आज वे खुद असुरक्षा में जी रहे हैं।”
सांसद ने केंद्र सरकार से मांग की कि अनुभवी, प्रशिक्षित और आरटीई लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त रखा जाए, जिससे उन्हें मानसिक तनाव से मुक्ति मिले और शिक्षा व्यवस्था प्रभावित न हो।
राज्यसभा में शिक्षकों की आवाज उठाए जाने पर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष एवं प्रांतीय संयुक्त महामंत्री अमित सिंह, तथा पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुशील उपाध्याय ने सांसद सीमा द्विवेदी के प्रति आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले शिक्षक संगठनों ने सांसद से मिलकर ज्ञापन सौंपा था, जिसमें देशभर के लाखों पुराने शिक्षकों को टीईटी अनिवार्यता से छूट देने की मांग की गई थी। सांसद ने उस समय आश्वासन दिया था कि वह यह मुद्दा सदन में उठाएँगी—और आज उन्होंने अपना वादा पूरा किया।
संगठनों ने कहा कि यह कदम पुराने शिक्षकों के लिए राहत की उम्मीद जगाता है, और देशभर के संगठनों ने सांसद का धन्यवाद किया है।

