इससे पहले महफिल का आगाज मौलाना सैयद मो शाज़ान ज़ैदी ने कुरआन-ए-पाक की तिलावत से किया और हजरत अली की हयाते जिंदगी का ज़िक्र किया।
महफिल में डा महमूद मोहम्मदाबादी का मिसरा "आज किस नूर से काबे में उजाला होगा" रहा, जिसपर शायरो ने अपने कलाम पेश किये।
मौलाना आबिद रज़ा मोहम्मदाबादी ने पढ़ा कि- 'जिस ने दिल उलफ़ते हैदर से सजाया होगा', इज़्ज़तें पाएगा फ़िरदौस ठिकाना होगा।
नातिक़ ग़ाज़ीपुरी ने पढ़ा- 'बस यही सोच के लिखता हूं कसीदा तेरा', ज़िन्दगी भर में कोई शेर तो सच्चा होगा।
नजमी जौनपुरी ने पढ़ा 'इनकी आमद से अभी देखना क्या क्या होगा', 'जब ये आएंगे तो ये काबा भी किब्ला होगा।
सलमान कलापुरी ने पढ़ा- आने ही वाला है अब ख़ाने काबा में इमाम', ऐ बिराहीम तेरा ख़्वाब भी पूरा होगा'।
हसन फतेहपुरी ने पढ़ा 'वो यही सोच के दीवारे हरम तक आई', 'मोज़िज़ा मादरे हैदर को पता था होगा'।
ऐतेशाम जौनपुरी ने पढ़ा- 'जितना मुफ्ती तेरा फ़तवो में इज़ाफ़ा होगा', उतना ही जिकरे अली और भी ज्यादा होगा'।
इसके अलावा महफ़िल में शायरो कैफी मोहम्मदाबादी, आमिर कजगांवी, अली अब्बास, वजीह़, राहिब, हेजाब इमामपुरी, रविश, डा शोहरत जौनपुरी, मेहंदी ज़ैदी, ज़रगाम सैदनपुरी, वसी करंजवी, अब्बास काज़मी, अबु तालिब ज़ैदी, साहेबरज़ा, नजफ आब्दी, मूसा, अज़ादार, वसीम, मोजिज़, वली व आज़म आदि शायरो ने मौला अली की शान मे कसीदे पढ़े।
अन्त मे नज्र-ए-मौला अली हुई और लोगो की सलामती तरक्की की दुआ कराई गई। लोगों ने एक-दूसरे के गले लगकर मुबारकबाद पेश की और खुशियां मनाईं।
संचालन सै. मोहम्मद मुस्तफा ने किया। इस अवसर पर कायम आब्दी, मोहम्मद अब्बास, मुफ्ती नजमुल हसन, दानिश काज़मी, इनायत अब्बास काज़मी, अनवारूल हसन, हैदर हुसैन रेयाज़, काज़ी नज्जु, लाडले ज़ैदी, जर्रार हुसैन, ऐमन मिंटो, शारिब, आदि सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।