सोहर गीत और मेडिकल साइंस से गहरा रिस्ता है

जब घर में बच्चा जन्म लेता है तो घर की महिलाये नये मेहमान को स्वागत ढोल मजीरे के साथ सोहर गीत गाकर करती है। यह कोई नई परम्परा नही बल्कि सदियो पुरानी है। सोहर गीत में प्रयोग होने वाले सुर और ताल का मेडिकल साइंस से गहरा रिस्ता भी है। इस गीत के सुनने वाले नवजात शिशुओ का दिमाग काफी तेजी से विकास करता है। इसका खुलासा किया है जौनपुर महिला जिला चिकित्सालय में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ 0 संदीप सिंह ने 
जौनपुर के एक परिवार में बच्चे के जन्म होने की ख़ुशी में ढोल मजीरे के साथ सोहर गीत गा रही इन महिलाओ को बस इतना इल्म है कि हम लोग घर में नये मेहमान आने का जश्न मनाने के लिए इस पारम्परिक गीत को गया जाता है। लेकिन आज से सैकड़ो वर्ष पूर्व इस गीत का इज़ाद करने वाला उस समय का महान डाक्टर ही रहा होगा। क्यों कि इस गीत को सुनने वाला नवजात शिशु बुद्धिमान होने के साथ साथ तदरुस्त होता है। फ़िलहाल इस गीत को गा रही इन महिलाओ को बस इतना पता है कि भगवान राम और कृष्ण के जन्म के समय इस गीत को गुनगुनाया गया था इस लिए भी आज पुरे सुर ताल में गीत को प्रस्तुत कर घर में खुशियो का छटा विखेर रही है
डॉ संदीप ने पुरे दावे के साथ कहा कि जो बच्चा सोहर गीत सुनता है वह बुद्धिमान होने के साथ साथ शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है। उन्होंने बताया कि मेडिकल की पढ़ायी के दरम्यान हम लोगो ने इस पर रिसचर्च भी किया था।
 यदि डॉ 0 संदीप का दावा सच है तो आप इसका अंदाज़ा लगा सकते है आज के मेडिकल साइंस से कितना आगे उस समय का साइंस आगे रहा होगा।

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