परमात्मा का साकार मंदिर है मनुष्य का शरीरः अमरेश्वरानन्द
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जौनपुर। मनुष्य शरीर ही वास्तव में परमात्मा का साकार मंदिर है और इस शरीर रूपी मंदिर के अंदर वह परमात्मा परम प्रकाश के रूप में अपने सम्पूर्ण साम्राज्य को लेकर विद्यमान रहता है परन्तु मनुष्य जीवन पर्यन्त उस प्रभु की खोज शरीर के बाहर संसार में करता रह जाता है, इसलिये उसे कभी भी उस प्रभु का दर्शन नहीं हो पाता है। उक्त विचार परम पूज्यनीय सतगुरू सर्वश्री आशुतोष जी महाराज के शिष्य स्वामी श्री अमरेश्वरानन्द जी ने व्यक्त किया। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वावधान में नगर पालिका परिषद के टाउन हाल के मैदान पर आयोजित श्री हरिकथामृत के दूसरे दिन उमड़ी भक्त के बीच महाराज ने कहा कि परमात्मा वास्तव में मानने का नहीं, अपितु दर्शन का विषय है। यह ज्ञान इंसान को तभी हो पाता है जब कोई पूर्ण संत सद्गुरू जीवन में आता है तो वह अपनी कृपा से तत्क्षण रूपी शरीर के भीतर उस परमात्मा का दर्शन कराता है तब ही भक्ति का शुभारम्भ होता है। उन्होंने कहा कि भक्ति का अर्थ ही होता है मिलन। जब पूर्ण सतगुरू जीवन में आते हैं तब वह आत्मा का परमात्मा से मिलन कराते हैं, फिर नित्य हम उस प्रभु का ध्यान अर्थात् देखते हैं और जीवन को प्रभु का संग करके उसके गुणों को अपने जीवन में धारण कर जीवन को सुन्दर एवं आनन्द से परिपूर्ण करते हैं। इस अवसर पर आयोजन समिति के कार्यकर्ताओं सहित अन्य उपस्थित रहे।