जौनपुर में स्थापित है देश की सबसे बड़ी सूर्य की प्रतिमा

 जौनपुर जिले के महाराजगंज क्षेत्र में  कन्जतीवीर मंदिर में स्थापित है देश सबसे बड़ी भगवान सूर्य की प्रतिमा। प्रतिमा को देखने के लिए खुद पुरातत्व विभाग के अधिकारियो  ने  मौके  पर पहुंच कर सर्वेक्षण किया।  विभाग के अधिकारियो ने सम्भावना जताया है कि देश में अब तक की यह सबसे बड़ी सूर्यदेव की मूर्ति हो सकती है, ठीक से पुरातात्विक सर्वे हो तो  इस स्थल एवं मूर्ति को पुरातत्व विभाग से राष्ट्रीय महत्त्व होने का दर्जा मिल सकता है।  जिले से ५० किलोमीटर पश्चिम प्रतापगड कि सीमा पर  स्थित महाराजगंज थाना क्षेत्र के बगैझार रामकोला गाव में कन्जरीवीर का मंदिर है २ मीटर  उचे टीले पर स्थित मंदिर में भगवन सूर्यदेव की प्रतिमा है, बलुए पत्थर को तरासकर बनाया गया यह विशाल सूर्य प्रतिमा की लम्बाई २५० सेमी, चोड़ाई ११० सेमी तथा मोटाई ३७ सेमी है ] प्रतिमा में सूर्य की चारो  पत्नियां  उषा, प्रतुषा, राज्ञी तथा निक्छुमा को दर्शाया गया है इसके अलावा सूर्य के मूर्ति के पैरों के मध्य में मुकुत्धारिनी एक देवी को प्रदर्शित किया गया है  सम्भावना है कि यह भू देवी महाश्वेता हो सकती है। दुर्भाग्य इस बात का है कि मूर्ति में घुटने के ऊपर का सम्पूर्ण काया खंडित अवस्था में है इस मंदिर व  मूर्ति के बारे में १८ अगस्त २०११ को ब्गैझार गाव निवासी डा.अजब नारायण उपाध्याय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण  पटना अंचल को पत्र लिखा
पुरातत्वविद पटना शंकर शर्मा ने उप अधीक्षण  पुरातत्वविद को सर्वेक्षण के लिए भेजा पुरातत्वविद ने जो रिपोर्ट भेजा उसमे लिखा  है कि यह मूर्ति ज्यो की त्यों अवस्था में है जो पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक अध्ययन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।  इसके आधार भाग के उत्खनन से स्पस्ट हो सकता है कि यह किस कल में निर्मित  हुई होगी। मूर्तियों में सिंदूर, घी, धुप, आदि का उपयोग हो रहा है जिससे सुन्दरता और स्वरूप नष्ट हो रहा है। मंदिर बनाने के क्रम में स्थानीय लोगो द्वारा यंत्र तंत्र खुदाई ई जा रही है जिससे स्तरीकृत स्वरूप विकृत हो रहा है।  मंदिर कि छत भी मजबूती से नही बनी है किसी भी समय मूर्ति पर गिर सकता है एवं मूर्ति टूट सकती है।  लेकिन रिपोर्ट के बाद पुरातत्व विभाग द्वारा  दुबारा अब तक कोई भी कदम नही उठाया गया।  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण  पटना अंचल यह तो मानाने को तैयार है कि अगर  यह मूर्ति मध्य एतिहासिक कालीन है तो यह संभवतः अब तक के ज्ञात सूर्य देव की प्रतिमाओं में सबसे बड़ी हो सकती है और ठीक से पुरातात्विक सर्वे हो तो  इस स्थल एवं मूर्ति को पुरातत्व विभाग से राष्ट्रीय महत्त्व होने का दर्जा मिल सकता है बावजूद इसके प्रशासन द्वारा अब तक इस तरफ कोई भी पहल नही की जा रही है ]

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