मौत के 10 साल बाद अपने प्यार को पूरा करने लौटी प्रेमिका
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वाराणसी. 1952 की यह कहानी बनारस से जुड़ी है। यहां एक अतृप्त प्रेमिका ने मरने के दस साल बाद प्रेमी के साथ चार दिनों तक रही और अत्यधिक कामुक होने के नाते प्रेमी के साथ पत्नी की तरह भोग भी करती रही। हरिशचंद्र शमसान घाट से इस कहानी की नई शुरुआत होती है। नीलम और मानिक (बदला हुआ नाम) एक साथ पढ़ते थे। पढ़ाई के दौरान दोनों में नजदीकियां बढ़ी और प्यार हो गया। दोनों ने शादी की ठान ली। नीलम कश्मीर की रहने वाली थी, उसके माता पिता वहीं रहते थे। नीलम अपने मामा के घर रहकर पढ़ाई करती थी। उसने कश्मीर जाकर घर वालों से मानिक के प्यार का जिक्र किया और शादी की बात कही। घर वालों ने शादी से इंकार के बाद नीलम को बनारस जाने से रोक दिया। एक दिन अपने प्रेमी की याद में उसने ख़ुदकुशी कर ली। मानिक ने नीलम के बारे में बहुत पता करना चाहा, लेकिन उसे कुछ पता नही चला। नीलम के परिवार वालों ने कश्मीर छोड़ दिया। मानिक भी नीलम के प्यार में बदहवास एक तांत्रिक से मिला। तांत्रिक ने एक मंत्र उसको दिया और कहा शमशान पर रोज बैठो वहीं से तुम्हे नीलम का साथ मिलेगा। दस साल बीत गए, एक दिन एक सुन्दर सी युवती मानिक से मिली और पूछा कैसो हो तुम? मानिक समझ नहीं पाया, थोडी देर बाद रूपवती नाम की इस युवती ने तपाक से बोला 'मैं तुम्हारी नीलम हूं, घर ले चलो मुझे।' मानिक ने समझा उसकी नीलम उसे मिल गई। वह उसको लेकर छोटे से घर में आ गया। मानिक ने कमरे में नीलम से ये जानने कि बहुत कोशिश की वह इतने सालों तक कहा रही। उसने जबाब नहीं दिया बल्कि मानिक को बाहो में भरकर प्यार करने लगी। उसने कहा 'पत्नी को पति ही पूरा कर सकता है और मैं भी पूरी होने तुम्हारे पास आई हूं।' इतना कहकर दोनों वासना में मुद्रित हो गए। चार दिनों तक यह सिलसिला लगातार चलता रहा। अगले दिन मानिक जब बिस्तर से उठा तो देखा कि नीलम गायब थी। कई दिनों तक उसने नीलम को काशी की गलियों और तमाम जगहों पर ढूंढा, लेकिन वह नहीं मिली। मानिक तांत्रिक बाबा के पास पहुंचा और उसने सारी बाते बताई। तांत्रिक बाबा ने चौंकाने वाला सच मानिक को बताया।
बाबा ने बताया कि मानिक तुम और नीलम एक दूसरे को दस वर्षों पहले पति पत्नी मान चुके थे। तुमसे शादी न होने के कारण नीलम ने आत्महत्या कर ली थी, लेकिन नीलम ने तुमको पति मान लिया था और अपने शरीर को भी सिर्फ तुमको ही सौंपना चाहती थी। मरने की वजह से उसकी आत्मा अतृप्त रह गई। वह पति के रूप में अपने शरीर को तुमको सौंपना चाहती थी। ऐसी अतृप्त आत्माएं स्थूल शरीर को ग्रहण किए भटकती रहती हैं। इनको सुक्ष्म शरीरधारी प्रेतात्माएं कहते हैं। जो इच्छा अनुसार विचरण करती हैं। तांत्रिक बाबा ने बताया कि 'मैंने जो मन्त्र दिया था उसकी शक्ति ने नीलम को तुमसे मिला दिया। नीलम की आत्मा भी पति के रूप में तुमसे शरीर के साथ सहवास कर तृप्त हो गई। अब उसके अगले जन्म का मार्ग खुल गया। जब तक आत्मा तृप्त नहीं होती वह भटकती रहती।' जीवात्मा अपने स्थूल शरीर को छोड़कर दूसरे स्थूल शरीर में अपनी भोग, वासना, लालसा और अतृप्त इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए प्रवेश करती है। यही पर वह सूक्ष्म शरीर के साथ हो जाती हैं। मृत्यु के बाद भी वैसी ही अनुभूति को पाना चाहती हैं। इसी स्थिति में भोग वासना के लिए नीलम की आत्मा भी सूक्ष्म शरीर के साथ आई थी। भोग वासना से तृप्त होकर वह आत्मा फिर चली गई।