एशिया की बड़ी यूनिवर्सिटी में शामिल BHU का इतिहास
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वाराणसी. 1916 में महामना मदन मोहन मालवीय ने देश के कल्याण के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना का संकल्प विदेशी शासन होने के बावजूद भी पूरा किया। 1360 एकड़ में 11 गांव, 70 हजार वृक्ष, 100 पक्के कुएं, 20 कच्चे कुएं, 40 पक्के मकान, 860 कच्चे मकान, एक मंदिर और एक धर्मशाला उस समय महामना को दान में मिली थी। मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र की रिसर्च ऑफिसर उषा त्रिपाठी ने मालवीय जी पर शोध के बाद काफी दिलचस्प तथ्यों को इकठ्ठा किया है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय कि पहली कल्पना दरभंगा नरेश कामेश्वर सिंह ने की थी। उषा त्रिपाठी ने बताया कि 1896 में एनी बेसेंट ने सेंट्रल हिन्दू स्कूल बना दिया था। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी का सपना महामना के साथ इन दोनों लोगों का भी था। 1905 में कुंभ मेले के दौरान यह प्रस्ताव लोगों के सामने लाया गया। उस समय सरकार को एक करोड़ रूपये जमा करने थे।
1915 में पूरा पैसा जमा कर लिया गया। भूमि पूजन पर पांच लाख गायत्री मंत्रों का जाप महामना द्वारा कराया गया था। उषा बताती हैं कि मालवीय जी जब 1919 में तीसरे कुलपति बनने जा रहे थे तो कुछ लोगों ने विरोध जताया था। वहीं बीएचयू आईटी के पहले प्रोफ़ेसर चार्ल्स ए किंग को बनाया गया, जो एक इतिहास है।
मालवीय जी का सपना था कि शिमला में बीएचयू की तरह यूनिवर्सिटी खोली जाए। आज भी उनका यह सपना पूरा नहीं हुआ। दरभंगा नरेश उस समय चाहते थे कि यह संस्कृत यूनिवर्सिटी शारदा विद्यापीठ के नाम से बने। एनी बेसेंट चाहती थी इसे यूनिवर्सिटी ऑफ इंडिया नाम दिया जाए।