सैकड़ों एकड़ फसलों की जलसमाधि

जौनपुर: किसानों को इस बार जिस बंपर फसल की उम्मीद थी उस पर बारिश ने कहर ढा दिया। जनवरी माह में इंद्र देवता ने देव भूमि पर जिस तरह से अपनी कृपा बरसाई उसमें इलाके के सैकड़ों एकड़ गेहूं की जलसमाधि हो गई, जिससे अन्नदाता रोने को मजबूर हैं। गेहूं की बोआई के बाद हुई जमकर बारिश से निचले इलाकों के खेत झील में तब्दील हो गए हैं। क्षेत्र के बभनौली, सैदपुर, डमरुवा, टेकारी, रइयां, शेरवां अहिरान, चकमहिता सहित आस-पास के गांवों में पानी ने लगभग 50 फीसद गेहूं की फसल बर्बाद करके रख दिया है। जो खेत में बचे हैं उनमें पीला रेतुआ नामक रोग लग गया है। गेहूं के खेत पीले-पीले सरसों की तरह नजर आ रहे हैं। शेष बचे फसलों से उत्पादन नाम मात्र का होगा। भयजदा किसान सिर पर हाथ रख बर्बाद फसल को सिर्फ एकटक निहार कर रोने को मजबूर हैं। बर्बाद फसल को देखकर परेशान किसान फसल की बर्बादी का सारा दोष ऊपर वाले को देकर कोसने के अलावा कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। वहीं प्रशासन बेबस व मजबूर किसानों को मरहम लगाने के बजाए उनके बर्बाद फसलों की सुधि भी लेना मुनासिब नहीं समझा। बभनौली गांव निवासी किसान मुन्नी लाल कलवार, नंदलाल कलवार, सूर्यमनि यादव, रामफेर, अनिल मिश्रा, सामुझ यादव, मखोधर कन्नौजिया, रामबचन पाल, कपिल मिश्रा, राजपति पांडेय, माता सेवक, दीना मिश्रा, जनार्दन के साथ-साथ अन्य गांवों के दर्जनों किसानों का कहना है कि खेत में लगे पानी को पंपिंग सेट मशीन लगाकर बाहर निकाला जा रहा है। उसके बावजूद भी फसल पानी से भरी हुई है। अब जो फसल बची भी है वह गलकर रोग की चपेट में आकर पीली हो गई है। किसानों की लागत भी फसल के साथ डूब गई। किसान सुरेंद्र तिवारी, सरजू मिस्त्री, राजनेत यादव व ओमप्रकाश की मानें तो खेतों में जो पीली फसल बची है उसे हम जानवरों को भी नहीं खिला सकते।

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