
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के तमाम अशासकीय महाविद्यालयों में पिछले कई वर्षों से कार्यरत निश्चित मानदेय डिग्री शिक्षकों ने अधर मे लटके विनियमितीकरण की तरफ प्रदेश सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया एवं प्रक्रिया पूरी करने की गुहार लगाते हुये सपा के वर्ष 2002 के चुनावी घोषणा पत्र की चर्चा किया जिसमें पार्टी के मुखिया की घोषणा है कि किसी भी देश का भविष्य युवा और छात्र हैं। प्रत्येक परिवार से कम से कम एक युवक के लिये आवश्यक रूप से रोजगार की व्यवस्था सपा करेगी। उसी तरह निश्चित मानेदय डिग्री शिक्षक जो अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत हैं, को विनियमित करने एवं विस्थापित शिक्षकों को समायोजित करने का कार्य भी सपा करेगी। सपा की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग तृतीय संशोधन अधिनियम 28 दिसम्बर 2006 में धारा 31 ई जोड़कर मानदेय शिक्षकों के विनियमितीकरण करने का सार्थक प्रयास किया गया किन्तु सरकार के समयाभाव के कारण प्रक्रिया अधर में लटक गयी। एक बार पुनः युवाओं की हिमायती सरकार सपा के सत्ता में आने पर मानदेय शिक्षकों में उम्मीद की किरण जगने लगी है। शिक्षकों के वेतन भुगतान में 80 प्रतिशत यूजीसी एवं 20 प्रतिशत भुगतान प्रदेश सरकार द्वारा किया जाना है जिससे प्रदेश सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं पड़ेगा एवं प्रदेश के 900 डिग्री शिक्षकों का भविष्य संवार कर प्रदेश सरकार अपने वादे भी पूरे कर सकेगी। वैसे जनता से किये वादों को पूरा करने की बात करने वाली सरकार मानदेय डिग्री शिक्षकों के साथ किये गये वादे को क्यों भूल गयी है? यह विचारणीय प्रश्न है। शिक्षक संगठन एवं उनके नेताओं ने इस संदर्भ में प्रदेश सरकार का ध्यान ले जाने का कई बार भागीरथी प्रयास किया किन्तु नतीजा अभी तक ‘ढाक के तीन पात’ वाली कहावत जैसा है। प्रक्रिया को पूरी कर विनियमितीकरण की सौगात शिक्षकों के कब मिलेगी, इसी वक्त की प्रतीक्षा रहेगी। मानदेय डिग्री शिक्षकों के विनियमितीकरण हेतु सूबे के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से 22 अप्रैल 2012 को महाविद्यालयी शिक्षक संघ के जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. प्रदीप सिंह मुख्यमंत्री आवास लखनऊ पर मिले थे एवं 5 मिनट की मुलाकात में मुख्यमंत्री ने शीघ्र शिक्षकों के विनियमितीकरण का आवासन दिया था। वैसे बता दें कि उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े शिक्षक संघ फुफुक्टा के प्रदेश अध्यक्ष डा. राजीव प्रकाश सिंह भी इस संघर्ष में मानदेय शिक्षकों के साथ खड़े हैं।