जनता को पानी पिलाने में अव्वल रहे सांसद धनंजय सिंह
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जौनपुर संसदीय सीट का लेखा जोखा और इतिहास
जौनपुर के सांसद धन्नजय सिंह अपने क्षेत्र को पानी पिलाने सड़क , नाली पुलिया बनवाने प्राथमिकता दिया है तीसरे स्थान विद्यालयो में अपनी निधि का पैसा खर्च करने उत्सुकता दिखाई है। चौथे स्थान पर विधुती करण को रखा।
सरकारी आकड़ो के अनुसार वर्ष 2009 -10 में कुल सांसद निधि में दो करोड़ 44 लाख रूपये आये थे। जिसमे एक करोड़ 61 लाख रूपये पेयजल पर खर्च किया 12 लाख 63 हजार रूपये में सड़क नाली और पुलिया बनवाया 19 लाख रूपये विद्यालयो पर खर्च किया 5 लाख 45 हजार विधुत और 46 हजार रूपये सौर ऊर्जा पर व्यय किया।
वर्ष 2010 -11 में दो करोड़ तीन लाख 41 हजार रूपये मिले - जिसमे 72 लाख 60 हजार रूपये पेयजल पर 70 लाख सड़क नाली पुलिया 16 लाख 25 हजार शिक्षण संस्थाओ 45 लाख रूपये विजली पर खर्च किया।
वर्ष - 2011 - 12 में पांच करोड़ नौ लाख 62 हजार रूपये मिले - जिसमे एक करोड़ 63 लाख 25 हजार रूपये पेयजल पर 37 लाख रूपये सड़क नाली पुलिया साढ़े पांच लाख स्कूल और दो करोड़ 80 लाख रूपये बिजली पर खर्च किया 10 लाख रूपये देवरिया जिले के एक स्कूल के भवन के लिए दिया
वर्ष 2012 -13 में पांच करोड़ 29 लाख 20 हजार रूपये मिले - जिसमे से एक करोड़ 16 लाख पेयजल तीन करोड़ 27 लाख रूपये में सड़क नाली और पुलिया निर्माण में खर्च किया 67 लाख रूपये शिक्षण संस्थाओ 17 लाख रूपये विधुतीकरण पर व्यय किया इस वर्ष भी 10 लाख रूपये गैर जनपद को देने का काम किया।
वर्ष 2013 -14 में कुल दो करोड़ 66 लाख रूपये आये जिसमे दो करोड़ 4 लाख रूपये पेयजल 64 लाख सड़क नाली पुलिया तीन लाख 31 हजार रूपये बिजली पर देने का काम किया
जौनपुर लोक सभा सीट भारतीय राजनीत में महत्व पूर्ण अहमियत रखता है। इस सीट पर आचार्य बीरबल 1952 से लेकर 1962 तक काग्रेस का परचम लहराया था। 1963 के उप लोक सभा चुनाव में जन संघ के संस्थापक पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी किस्मत आजमाया था लेकिन अटल बिहारी बाजपेयी जैसे कई दिग्ज नेताओ के लाख कोशिशो के बावजूद दीनदयाल जी यहाँ के जमीनी नेता व काग्रेस प्रत्यासी बाबू राजदेव सिंह से चुनाव हार गये थे। इसके बाद राज देव सिंह ने इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाई थी। 1999 में इस सीट पर भाजपा प्रत्यासी स्वामी चिन्मयानंद जनादेश हासिल कर केद्र सरकार में गृहराज्य मंत्री बने थे। किस पार्टी का गढ़, किसका दबदबा, पिछले कुछ सालों में उलटफेर 1952 से लेकर 1979 तक इस सीट पर काग्रेस का कब्जा रहा। 1980 में यह सीट सोसलिस्ट पार्टी के खाते में चली गई थी 1984 में फिर काग्रेस के हाथो में आ गई थी लेकिन 1989 के चुनाव में यह सीट भाजपा ने छीन लिया। 1991 के चुनाव में जनता दल ने अपना परचम लहराया 1996 के चुनाव में यह सीट फिर भाजपा के खाते में आ गई थी। 1998 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने पहलीबार जीत दर्ज किया था। 1999 के चुनाव में एक बार फिर इस लोक सभा सीट पर भाजपा का कमल खिला। 2004 में सपा की साईकिल धूम कर चली। 2009 में बीएसपी के बाहुबली प्रत्यासी धनंजय सिंह ने सपा से यह सीट छीनकर बसपा की झोली में डाल दिया।
अब तक के सांसदो की सूची
1- 1952 - आचार्य बीरबल - काग्रेस
2- 1957 - आचार्य बीरबल - काग्रेस
3- 1962 - राजदेव सिंह - कांग्रेस
4- 1967 - राजदेव सिंह - कांग्रेस
5- 1971 - राजदेव सिंह - कांग्रेस
6- 1977 - राजा यादवेंद्रदत्त दूबे -जनता पार्टी
7- 1980 - ए यू आज़मी सोसलिस्ट पार्टी
8- 1984 - कमला सिंह कांग्रेस
9- 1889 - राजा यादवेंद्रदत्त दूबे - भाजपा
10- 1991 - अर्जुन यादव - जनता दल
11- 1996 - राजकेसर सिंह - भाजपा
12- 1998 - पारसनाथ यादव- सपा
13-1999 - स्वामी चिन्मयानंद- भाजपा
14- 2004 - पारसनाथ यादव - सपा
15- 2009 - धनंजय सिंह - बीएसपी
वोटरों की संख्या - पुरुष, महिला 17लाख ,25हजार ,057 9लाख 35हजार ,335 7,लाख 89 हजार 722 4. जातीय समीकरण जातीय समीकरण इस प्रकार है.… ब्राह्मण - 2लाख 43हजार 840 क्षत्रिय - 1लाख 91हजार 184 मुस्लिम - 2 लाख 21हजार 254 यादव - 2 लाख 25 हजार 110 अनुसूचित 2 लाख 31 हजार 972 बाकी अन्य जातियो के मतदाता है। दावे और वादे की पोल खोल 1989 के पहले जौनपुर में विकास की कुछ किरणे जरुर दिखाई पड़ी थी.। काग्रेस के शासन काल में कताई मिल , रतना शुगर मिल , सतहरिया अधौगिक क्षेत्र और पूर्वांचल विश्वविद्यालय का स्थापना हुआ था। उसके मंडल कमन्डल की राजनीत ने यहाँ के विकास को विनाश की तरफ धकेल दिया है। शुगर मिल को मायावती सरकार ने अवने पौने दामो में बेच दिया, कताई मिल को समाजवादी पार्टी ने घाटे के कारण बंद कर दिया है सतहरिया अधौगिक क्षेत्र अंतीम सांसे ले रहा है पूर्वांचल विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रट्राचार किसी से छिपा नहीं है। हलाकि चुनाव के समय सभी पार्टियो के प्रत्यासी इस जिले के तक़दीर और तस्वीर बदलने का वादा जरुर करते है लेकिन चुनाव बीतने के बाद अपनी ही तक़दीर और तस्वीर बदलने में जुट जाते है। 6. इलाके में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति - सड़क, बिजली, पानी जौनपुर लोक सभा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओ का पूरी तरह टोटा है गड्ढे में सड़क है या सड़के गड्ढे में यह तय कर पाना नामुमकिन है बिजली रानी का क्या कहना जैसे गरीबो के नसीब से लक्ष्मी गायब होती है उसी तरह से जौनपुर की जनता के नसीब से बिजली गायब हो गई है । जब बिजली ही नही है तो पानी कहा से मिलेगी। शहरी इलाके की अवाम पानी के लिए रात में जगाकर इंतज़ार करती है महिलाये पुरुष और बच्चे पानी के लिए कड़ी मशकत करते है ग्रामीण इलाके के किसान खाद ,पानी और बिजली ना मिलने के कारण त्राह - त्राह कर रहे है 7. शिक्षा का स्तर, रोजगार-कारोबार के हालात, औद्योगिक इकाइयों की हालत शर्की सल्तनकाल से ही यहाँ शिक्षा के स्तर काफी ऊँचा रहा है इसी लिए इस जिले को शराजे हिन्द का ख़िताब भी मिल चूका है यहा गांव गांव में शिक्षण संस्थाए स्थापित है यहा से पढ़ लिखकर लोग देश विदेश प्रशासनिक सेवाओ में अहम् भूमिका निभाने के साथ ही देश का मान सम्मान भी बढ़ा रहे है। लेकिन अब बदले ज़माने के साथ यहा पर टेक्नीकल कालेज और मेडिकल कालेज ना होने के कारण गरीब छत्रो की प्रतिभा गांव की मिट्टी में ही दफन हो जा रही है.। पर स्थापित शुगर मिल, कताई मिल और सीडा की कई इकाईयां बंद होने के कारण रोजगार का भारी संकट हो गया है यहाँ के युवा रोजगार के अन्य प्रदेशो और खाड़ी देशो में पलायन कर रहे है। इस्पेक्टर राज और भीषण जाम के कारण यहाँ का व्यापारी त्रस्त है।
जौनपुर के सांसद धन्नजय सिंह अपने क्षेत्र को पानी पिलाने सड़क , नाली पुलिया बनवाने प्राथमिकता दिया है तीसरे स्थान विद्यालयो में अपनी निधि का पैसा खर्च करने उत्सुकता दिखाई है। चौथे स्थान पर विधुती करण को रखा।
सरकारी आकड़ो के अनुसार वर्ष 2009 -10 में कुल सांसद निधि में दो करोड़ 44 लाख रूपये आये थे। जिसमे एक करोड़ 61 लाख रूपये पेयजल पर खर्च किया 12 लाख 63 हजार रूपये में सड़क नाली और पुलिया बनवाया 19 लाख रूपये विद्यालयो पर खर्च किया 5 लाख 45 हजार विधुत और 46 हजार रूपये सौर ऊर्जा पर व्यय किया।
वर्ष 2010 -11 में दो करोड़ तीन लाख 41 हजार रूपये मिले - जिसमे 72 लाख 60 हजार रूपये पेयजल पर 70 लाख सड़क नाली पुलिया 16 लाख 25 हजार शिक्षण संस्थाओ 45 लाख रूपये विजली पर खर्च किया।
वर्ष - 2011 - 12 में पांच करोड़ नौ लाख 62 हजार रूपये मिले - जिसमे एक करोड़ 63 लाख 25 हजार रूपये पेयजल पर 37 लाख रूपये सड़क नाली पुलिया साढ़े पांच लाख स्कूल और दो करोड़ 80 लाख रूपये बिजली पर खर्च किया 10 लाख रूपये देवरिया जिले के एक स्कूल के भवन के लिए दिया
वर्ष 2012 -13 में पांच करोड़ 29 लाख 20 हजार रूपये मिले - जिसमे से एक करोड़ 16 लाख पेयजल तीन करोड़ 27 लाख रूपये में सड़क नाली और पुलिया निर्माण में खर्च किया 67 लाख रूपये शिक्षण संस्थाओ 17 लाख रूपये विधुतीकरण पर व्यय किया इस वर्ष भी 10 लाख रूपये गैर जनपद को देने का काम किया।
वर्ष 2013 -14 में कुल दो करोड़ 66 लाख रूपये आये जिसमे दो करोड़ 4 लाख रूपये पेयजल 64 लाख सड़क नाली पुलिया तीन लाख 31 हजार रूपये बिजली पर देने का काम किया
जौनपुर लोक सभा सीट भारतीय राजनीत में महत्व पूर्ण अहमियत रखता है। इस सीट पर आचार्य बीरबल 1952 से लेकर 1962 तक काग्रेस का परचम लहराया था। 1963 के उप लोक सभा चुनाव में जन संघ के संस्थापक पण्डित दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी किस्मत आजमाया था लेकिन अटल बिहारी बाजपेयी जैसे कई दिग्ज नेताओ के लाख कोशिशो के बावजूद दीनदयाल जी यहाँ के जमीनी नेता व काग्रेस प्रत्यासी बाबू राजदेव सिंह से चुनाव हार गये थे। इसके बाद राज देव सिंह ने इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाई थी। 1999 में इस सीट पर भाजपा प्रत्यासी स्वामी चिन्मयानंद जनादेश हासिल कर केद्र सरकार में गृहराज्य मंत्री बने थे। किस पार्टी का गढ़, किसका दबदबा, पिछले कुछ सालों में उलटफेर 1952 से लेकर 1979 तक इस सीट पर काग्रेस का कब्जा रहा। 1980 में यह सीट सोसलिस्ट पार्टी के खाते में चली गई थी 1984 में फिर काग्रेस के हाथो में आ गई थी लेकिन 1989 के चुनाव में यह सीट भाजपा ने छीन लिया। 1991 के चुनाव में जनता दल ने अपना परचम लहराया 1996 के चुनाव में यह सीट फिर भाजपा के खाते में आ गई थी। 1998 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने पहलीबार जीत दर्ज किया था। 1999 के चुनाव में एक बार फिर इस लोक सभा सीट पर भाजपा का कमल खिला। 2004 में सपा की साईकिल धूम कर चली। 2009 में बीएसपी के बाहुबली प्रत्यासी धनंजय सिंह ने सपा से यह सीट छीनकर बसपा की झोली में डाल दिया।
अब तक के सांसदो की सूची
1- 1952 - आचार्य बीरबल - काग्रेस
2- 1957 - आचार्य बीरबल - काग्रेस
3- 1962 - राजदेव सिंह - कांग्रेस
4- 1967 - राजदेव सिंह - कांग्रेस
5- 1971 - राजदेव सिंह - कांग्रेस
6- 1977 - राजा यादवेंद्रदत्त दूबे -जनता पार्टी
7- 1980 - ए यू आज़मी सोसलिस्ट पार्टी
8- 1984 - कमला सिंह कांग्रेस
9- 1889 - राजा यादवेंद्रदत्त दूबे - भाजपा
10- 1991 - अर्जुन यादव - जनता दल
11- 1996 - राजकेसर सिंह - भाजपा
12- 1998 - पारसनाथ यादव- सपा
13-1999 - स्वामी चिन्मयानंद- भाजपा
14- 2004 - पारसनाथ यादव - सपा
15- 2009 - धनंजय सिंह - बीएसपी
वोटरों की संख्या - पुरुष, महिला 17लाख ,25हजार ,057 9लाख 35हजार ,335 7,लाख 89 हजार 722 4. जातीय समीकरण जातीय समीकरण इस प्रकार है.… ब्राह्मण - 2लाख 43हजार 840 क्षत्रिय - 1लाख 91हजार 184 मुस्लिम - 2 लाख 21हजार 254 यादव - 2 लाख 25 हजार 110 अनुसूचित 2 लाख 31 हजार 972 बाकी अन्य जातियो के मतदाता है। दावे और वादे की पोल खोल 1989 के पहले जौनपुर में विकास की कुछ किरणे जरुर दिखाई पड़ी थी.। काग्रेस के शासन काल में कताई मिल , रतना शुगर मिल , सतहरिया अधौगिक क्षेत्र और पूर्वांचल विश्वविद्यालय का स्थापना हुआ था। उसके मंडल कमन्डल की राजनीत ने यहाँ के विकास को विनाश की तरफ धकेल दिया है। शुगर मिल को मायावती सरकार ने अवने पौने दामो में बेच दिया, कताई मिल को समाजवादी पार्टी ने घाटे के कारण बंद कर दिया है सतहरिया अधौगिक क्षेत्र अंतीम सांसे ले रहा है पूर्वांचल विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रट्राचार किसी से छिपा नहीं है। हलाकि चुनाव के समय सभी पार्टियो के प्रत्यासी इस जिले के तक़दीर और तस्वीर बदलने का वादा जरुर करते है लेकिन चुनाव बीतने के बाद अपनी ही तक़दीर और तस्वीर बदलने में जुट जाते है। 6. इलाके में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति - सड़क, बिजली, पानी जौनपुर लोक सभा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओ का पूरी तरह टोटा है गड्ढे में सड़क है या सड़के गड्ढे में यह तय कर पाना नामुमकिन है बिजली रानी का क्या कहना जैसे गरीबो के नसीब से लक्ष्मी गायब होती है उसी तरह से जौनपुर की जनता के नसीब से बिजली गायब हो गई है । जब बिजली ही नही है तो पानी कहा से मिलेगी। शहरी इलाके की अवाम पानी के लिए रात में जगाकर इंतज़ार करती है महिलाये पुरुष और बच्चे पानी के लिए कड़ी मशकत करते है ग्रामीण इलाके के किसान खाद ,पानी और बिजली ना मिलने के कारण त्राह - त्राह कर रहे है 7. शिक्षा का स्तर, रोजगार-कारोबार के हालात, औद्योगिक इकाइयों की हालत शर्की सल्तनकाल से ही यहाँ शिक्षा के स्तर काफी ऊँचा रहा है इसी लिए इस जिले को शराजे हिन्द का ख़िताब भी मिल चूका है यहा गांव गांव में शिक्षण संस्थाए स्थापित है यहा से पढ़ लिखकर लोग देश विदेश प्रशासनिक सेवाओ में अहम् भूमिका निभाने के साथ ही देश का मान सम्मान भी बढ़ा रहे है। लेकिन अब बदले ज़माने के साथ यहा पर टेक्नीकल कालेज और मेडिकल कालेज ना होने के कारण गरीब छत्रो की प्रतिभा गांव की मिट्टी में ही दफन हो जा रही है.। पर स्थापित शुगर मिल, कताई मिल और सीडा की कई इकाईयां बंद होने के कारण रोजगार का भारी संकट हो गया है यहाँ के युवा रोजगार के अन्य प्रदेशो और खाड़ी देशो में पलायन कर रहे है। इस्पेक्टर राज और भीषण जाम के कारण यहाँ का व्यापारी त्रस्त है।