वाह रे जौनपुर पुलिस खाकी वर्दी को दागदार करने वालो को दिया जा रहा है इनाम !

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 दिनांक 14.02.2014 को जौनपुर के विभिन्न संस्करणों में प्रकाशित समाचार पत्र शीर्षक ’’खाकी को शर्मसार कर जमीन पर पड़ा रहा।’’ पुलिस सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार इस समाचार का असर यह रहा कि इस उ0नि0 (श्री बनारसी सिंह यादव) को एक हफ्ता पहले एक महत्वपूर्ण चैकी का चैकी प्रभारी बना दिया गया चैकी का नाम है पुलिस चैकी धनियामऊ थाना बक्शा। पुलिस चैकी धनियामऊ थाना बक्शा जनपद जौनपुर का एक महत्वपूर्ण चैकी है। फ़िलहाल आज पुलिस अधिकारियो ने किसी कारणो से बनारसी यादव को लाईन हाजिर करते हुए उस चौकी पर जमालपुर चौकी पर तैनात श्याम नारायण यादव को नियुक्त कर दिया है। परन्तु इस प्रकार की नियुक्ति से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि अपने अधिकारों का सदुपयोग किया जा रहा है या दुरूपयोग? साथ ही मीडिया द्वारा किसी प्रकरण को उठाये जाने पर किस प्रकार का असर पड़ रहा है। यह बिन्दु भी विचारणीय है। इसके अतिरिक्त यह भी उल्लेखनीय है कि जनपद में ही अपराध एवं अपराधियों के प्रति अच्छी भूमिका निभाने वाले उ0नि0 लाइन हाजिर या किसी थाने पर द्वितीय अधिकारी के रूप में नियुक्त किये गये है।
वर्ष 2012 में पुलिस अधीक्षक, जौनपुर के पद पर श्रीमती मंजिल सैनी नियुक्ति के दौरान 19.12.2012 को अपने आशुलिपिक के भ्रष्टाचार से तंग आकर एक पत्र जनपद के सभी अधिकारी/शाखा प्रभारी को निर्गत किया गया, जो इस प्रकार हैः-
    ’’मेरे संज्ञान मंे आया है कि मेरे द्वारा जितने भी स्थानान्तरण/नियुक्ति जनहित में या अन्य कारणों से किया जा रहा है, उसके लिए मेरे आशुलिपिक/स्टेनो द्वारा अनावश्यक रूप से कर्मचारियों से अनुचित पैसे की मांग की जा रही है, जो कदापि अनुचित है तथा भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। मैं स्पष्ट करना चाहॅूंगी कि यदि किसी कर्मचारियों को इस तरह से प्रताडि़त किया जाता है तो मुझे अथवा मेरे सीयूजी मोबाइल पर अवगत करायें। भविष्य में इस तरह मेरे स्टेनों द्वारा अनावश्यक रूप से प्रताडि़त किया जाता है तो मुझे तत्काल अवगत कराया जाय। कृपया सम्मेलन करके अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को अवगत करा दें।’’
उक्त आदेश की प्रति इस प्रकार हैः-
   उक्त आदेश से यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आशुलिपिक द्वारा किस स्तर पर भ्रष्टाचार ब्याप्त किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप उक्त पत्र निर्गत करने हेतु तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बाध्य हुई होंगी। इस आशुलिपिक के सम्बन्ध में इस जनपद में एक वर्ष पूर्व से नियुक्त किसी भी अधिकारी/कर्मचारी से जानकारी किया जा सकता है। उक्त आदेश निर्गत होने के उपरान्त भी आशुलिपिक में कोई सुधार न आने पर माह फरवरी 2013 में उक्त आशुलिपिक को गोपनीय कार्यालय से हटा दिया गया। नवागन्तुक पुलिस अधीक्षक, जौनपुर के आने के तत्काल बाद उक्त आशुलिपिक द्वारा अपने जुगाड़ एवं शिफारस के दम पर पुनः उसी स्थान पर पहुंच गया। पुनः क्यों लाया गया इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि एक इमानदार अधिकारी द्वारा हटाये गये आशुलिपिक को किन कारणों से पुनः क्यों स्थापित किया गया।

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