कागजो तक सीमित है सोनियां गांधी के क्षेत्र का विकास
https://www.shirazehind.com/2014/03/blog-post_9357.html
आजादी के बाद से लगभग कांग्रेस के हाथों में रहे रायबरेली का विकास ज्यादातर कागजों पर हुआ। 1966 में इंदिरा गांधी ने रायबरेली के विकास के लिए कई योजनाएं चलाई जिसमें 20 फीसदी मार्जिनमनी योजना में बहुत से निवेशक रायबरेली लूट कर चले गए और यहां की स्थित बद से बदतर हो गई। इस योजना के तहत (इंदिरा गांधी के विशेष आदेश पर) निवेशकों को यहां के तमाम वित्तीय संस्थानों से 80 फीसदी धन अनुदान के रूप में मिला बाकि 20 फीसदी खुद निवेशक को लगाना होता था जिसमें निवेशक अपना बजट दोगुना करके मार्जिन के साथ मूल धन भी पी गए और बाद में खुद को दिवालिया दिखा कर भाग गए। ऐसे लगभग 80 से ज्यादा मामले मिले हैं जिन पर बैंक अब सिर्फ चक्कर लगा रहे हैं और 1998 तक ऐसे मामलों में बैंको का लगभग 400 करोड़ रुपया फंसा हुआ था। इंदिरा गांधी के समय में रायबरेली में किसानों के लिए लगभग 360 (नई और पुरानी) नहरों को ठीक किया गया जिनमें आज आधे से ज्यादा बंद हैं। इंदिरा गांधी के प्रयास से रायबरेली के लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से लगाई गई फैक्ट्रियों में आज आईटीआई ही केंद्र की ऑक्सीजन पर जिंदा है बाकि प्रशासनिक उपेक्षा के चलते बंद हो चुकी हैं या बंदी के कगार पर हैं। सोनिया गांधी के यहां से चुनाव जीतने के बाद उनके निजी प्रयास से शीना होम टैक्सटाइल्स और रेल कोच कारखाने से अब लोगों की उम्मीद एक बार फिर जागी है। रायबरेली में सड़कों के नाम पर खर्च हुए करोड़ों रुपए सिर्फ ठेकेदारों और अधिकारियों की जेब में गए हैं। 2006 में सोनिया गांधी की पहल पर एफआईआर लिखी गई जिसमें 60 से ज्यादा ठेकेदार और अधिकारी जेल गए पर हालत आज भी कुछ सुधरे हैं। गांवों को जोड़ने के लिए बनाईं गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़के भी जांच के दायरे में हैं। शिक्षा के क्षेत्र में रायबरेली जिला काफी पिछड़ा हुआ है। रायबरेली में 1960 के आसपास खुला एक मात्र फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज पिछले दशक तक अकेला था लेकिन निजी क्षेत्रों के कॉलेजों के आने के बाद इनकी संख्या बढ़ गई। 28 लाख की आबादी वाले इस जिले में महिलाओं की शिक्षा आज भी दूर की कौड़ी है। यहां पर महिलाओं के लिए आज भी एक मात्र इंदिरा गांधी महिला डिग्री कॉलेज ही है जिसमें दाखिले के लिया मारामारी ही इसकी उपयोगिता सिद्ध करती है। यहां पर कई राष्ट्रीय स्तर के संस्थान खुल गए हैं जिनमें राजीव गांधी पेट्रोलियम संस्थान, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नेश्नल इंस्टीटयूट ऑफ फार्मास्युटिकल एंड रिसर्च, फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, फिरोज गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज, फिरोज गांधी पॉलीटेक्निक प्रमुख हैं। संस्थानों के नाम पर यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी भी है जहां बच्चों को कमर्शियल और प्राइवेट उड़ान की ट्रेनिंग भी दी जाती है। बेसिक शिक्षा के लिए यहां पर 2600 सरकारी स्कूल हैं जो सर्व शिक्षा अभियान के तहत ग्रामीण बच्चों को पढ़ते हैं। इस अभियान का सालाना बजट 140 करोड़ का है।