रोजगार नहीं मिला तो जीव जंतुओं से जोड़ लिया नाता, विषधरों के साथ खेलना बना शगल
https://www.shirazehind.com/2014/07/blog-post_39.html
POST BY ANAND DEV YADAV
समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र विषय में परास्नातक, बीएड व संगीत में प्रभाकर की डिग्री हासिल करने के बाद रोजगार नहीं मिलने पर मुरारीलाल ने विषधरों से नाता जोड़ लिया। अब विषधरों के साथ खेलना उसका शगल बन गया है। किंग कोबरा, करैत, अजगर, चीतर, वाइपर, विषखोपड़ा जैसे विषधरों के साथ मानों उसने अलग दुुनिया बसा ली हो।
जौनपुर के बक्शा ब्लाक के बेलापार गांव निवासी मुरारारीलाल यादव को लोग मुरली वाले के नाम से जानते हैं। किसी के घर अगर कोई विषधर दिखा और मुरलीवाले को आधी रात को भी इसकी जानकारी हुई तो वह बिना किसी परवाह के निकल पड़ता है। जिस विषधर को देख लोगों की सांसें अटक जाती हैं उसे बहुत ही आराम से पकड़ कर वह अपने बटुए में रख लेता है। ऐसा भी नहीं कि आजीविका के लिए उसने यह काम शुरू किया है। पिषधरों को पकड़ने के एवज में उसे कुछ चाहिए भी नहीं। विषधरों को पालने के लिए उसने घर पर दर्जनों की संख्या में लकड़ी के डिब्बे बनवा रखे हैं। अब मुरारी के घर में जिस दिन कोई नया विषधर सदस्य आता है तो संसाधनों की कमी के कारण पहले से मौजूद किसी पुराने विषधर सदस्य को वह जंगल में ले जाकर उसे आजाद कर देते हैं। वह विषधरों को खुली हवा में टहलाने उनके साथ घंटों खेलने के अलावा उनके चारे का भी मुकम्मल इंतजाम करते हैं। एक साथ 10 से भी अधिक किंग कोबरा और करैत जैसे खतरनाक विषधरों के साथ मुरारी को खेलते देख किसी को भी हैरत हो सकती है। मुरारी को प्रकृ ति से भी गहरा लगाव है। उन्होंने घर के आगे पीछे तमाम प्रकार के पौधे लगा रखे हैं। कहते हैं कि पर्यावरण संतुलन के लिए इन विषधरों का बड़ा रोल है। जानकारी न होने के कारण लोग इन्हें मार देते हैं यह ठीक नहीं है।
ऐसे आया मन में ख्याल
जौनपुर। 28 वर्षीय मुरारीलाल की मानें तो उनकी अवस्था जब आठ वर्ष की थी तभी से विषधरों से उन्हें लगाव हो गया था। घर पर आए एक सपेरे को सांप पकड़ते देख उसे यह समझ में आ गया कि विषधर को पकड़ने के लिए कैसी सावधानी बरतनी चाहिए। उसके अगले दिन ही वह स्कूल से लौट रहा था तो रास्ते में सांप दिखा जिसे उन्होंने पकड़ लिया। इसकी जानकारी घर वालों को हुई तो उसे डांट भी पड़ी। फिर भी हौसला कम नहीं हुआ। घर वालों के चोरी छिपे वह सांप को पकड़ता और छोड़ता रहा। इसी बीच मुरारी की मुलाकात विषधरों के जानकार मत्स्य विभाग के डायरेक्टर डा. अरविंद मिश्र से हुई तो उसके अंदर का रहा सहा डर भी निकल गया।
वन विभाग को भी उपलब्ध कराते हैं अजगर
जौनपुर। कई बार ऐसा हुआ है कि जब मुरारी के घर रखे अजगर को वन विभाग के अधिकारी ले जाकर जंगलों में छोड़ते हैं, लेकिन मुरारी लाल इस बात का अफसोस नहीं। वह कहते हैं कि जीव जंतुओं की हिफाजत करना हमारा धर्म है। यह कार्य जो भी करेगा उनके लिए वही अनुकरणीय होगा। वन विभाग अगर उन्हें प्रोत्साहन दे तो जीव जंतुओं की सुरक्षा के लिए और भी बेहतर कार्य कर सकते हैं।
जौनपुर। 28 वर्षीय मुरारीलाल की मानें तो उनकी अवस्था जब आठ वर्ष की थी तभी से विषधरों से उन्हें लगाव हो गया था। घर पर आए एक सपेरे को सांप पकड़ते देख उसे यह समझ में आ गया कि विषधर को पकड़ने के लिए कैसी सावधानी बरतनी चाहिए। उसके अगले दिन ही वह स्कूल से लौट रहा था तो रास्ते में सांप दिखा जिसे उन्होंने पकड़ लिया। इसकी जानकारी घर वालों को हुई तो उसे डांट भी पड़ी। फिर भी हौसला कम नहीं हुआ। घर वालों के चोरी छिपे वह सांप को पकड़ता और छोड़ता रहा। इसी बीच मुरारी की मुलाकात विषधरों के जानकार मत्स्य विभाग के डायरेक्टर डा. अरविंद मिश्र से हुई तो उसके अंदर का रहा सहा डर भी निकल गया।
वन विभाग को भी उपलब्ध कराते हैं अजगर
जौनपुर। कई बार ऐसा हुआ है कि जब मुरारी के घर रखे अजगर को वन विभाग के अधिकारी ले जाकर जंगलों में छोड़ते हैं, लेकिन मुरारी लाल इस बात का अफसोस नहीं। वह कहते हैं कि जीव जंतुओं की हिफाजत करना हमारा धर्म है। यह कार्य जो भी करेगा उनके लिए वही अनुकरणीय होगा। वन विभाग अगर उन्हें प्रोत्साहन दे तो जीव जंतुओं की सुरक्षा के लिए और भी बेहतर कार्य कर सकते हैं।