कार चालक ने जीता था 132 पदक, क्षेत्रीय बच्चे को एथलीट बनाने का है जज्बा
https://www.shirazehind.com/2014/08/132.html
नानकचन्द्र त्रिपाठी
मुंगराबादशाहपुर;जौनपुरद्ध।बन विभाग मे चालक पद पर नौकरी करते हुए वेटलिफिटिंग,पावरलिफिटिंग,गोला फेक,दौड,डिसकस,लांग जम्प,भाला फेंक,प्रतियोगिता मंे स्वर्ण,रजत,कांस्य समेत 132 पदक जीतने वाले राजाराम यादव अब क्षेत्रीय बच्चो को तालीम देकर बेहतर एथलीट बनाना चाहते है।मंुगराबादशाहपुर के बडागांव निवासी राजाराम वर्ष 1973 मे वनविभाग लखनउ मे वाहन चालक के पद पर नियुक्त हुए।तभी से विभाग की ओर से वेटलिफिटिंग,पावर लिफिटिंग आदि मे मंडलीय,प्रदेशीय,तथा राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं मे हिस्सा लेते रहे।
सर्वप्रथम राजाराम को 1993-94मे देहरादून मे आयोजित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता मे सिल्वर मेडल मिला और इसी वर्ष राष्ट्रीय स्तर के खेलो मे भी दो स्वर्ण पदक मिला।इसके वाद फिर ये पीछे मुडकर कभी नही देखे।वर्ष1994-2007तक लगातार पावरलिफिटिंग,वेटलिफिटिंग,लांग जम्प,दौड,डिसकस,गोलाफेंक,भालाफेंक प्रतियोगिता मे नौ स्वर्ण,नौ रजत,दो कंास्य पदक प्राप्त किये।प्रदेश स्तरीय तथा मंडलीय प्रतियोगिता मे42स्वर्ण,47रजत,23कांस्य पदक प्राप्त किये।ये इसे हासिल कर जनपद ही नही अपितु पूरे प्रदेश का नाम रौशन किया।
वर्ष1948मे जन्म लेने वाले स्व.मातादीन यादव के इस सपूत ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने का संकल्प लिया था कि ये एक अच्छे खिलाडी बनेंगे।माता लखपती देवी भी यही चाहती थी।इसमे इनकी पत्नी स्व.बरमदेइ ने भी साथ दिया।इनको दो लडकियां शांति और मालती पैदा हुयी।इनसे इनको दो नाती सूरज,चंदन पैदा हुये।इन्हे अभी से ही दौड व अन्य एथलीट के गुर सिखा रहे हैं।जबकि ये अभी कक्षा 8और6के छात्र हैं।इनसे इन्हे काफी उम्मीदें है।गांव के ही स्कूल मे कक्षा पांच तक की शिक्षा ग्रहण की।वर्ष2008मे सेवानिवृत्त हो गये।64वर्षीय राजाराम इसके पूर्व 18राज्यो मे खेल के लिये भ्रमण कर चुके है।आज भी 14सेकेंड मे100मीटर व28सेकेंड में200मीटर की दूरी तय करतंे है।आज भी ये दौड मे किसी युवा से कम नही हैं। वातचीत के दौरान उन्होने वताया कि आज की युवा पीढी खेलकूद मे कम तथा टीवी,वीडियोगेम आदि मे अधिक रुचि ले रही है।यदि शासन व प्रशासन की तरफ से मदद मिले तो क्षे़़त्रीय प्रतिभा को प्रांतीय तथा राष्ट्रीय व अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का प्रयास करेगे।गांव मे ही एक व्यायामशाला बनवाने की उनकी दिली तमन्ना है।जिसमे क्षेत्र के युवाओ को खेल के प्रति रुझान पैदा कर सकें और इन्हे तराशकर अच्छा एथलीट बनाया जा सके।क्षेत्र मे खेल को वढाने हेतु इन्हे किसी तरह की सुविधा आज तक न मिलने का इन्हे मलाल है।
मुंगराबादशाहपुर;जौनपुरद्ध।बन विभाग मे चालक पद पर नौकरी करते हुए वेटलिफिटिंग,पावरलिफिटिंग,गोला फेक,दौड,डिसकस,लांग जम्प,भाला फेंक,प्रतियोगिता मंे स्वर्ण,रजत,कांस्य समेत 132 पदक जीतने वाले राजाराम यादव अब क्षेत्रीय बच्चो को तालीम देकर बेहतर एथलीट बनाना चाहते है।मंुगराबादशाहपुर के बडागांव निवासी राजाराम वर्ष 1973 मे वनविभाग लखनउ मे वाहन चालक के पद पर नियुक्त हुए।तभी से विभाग की ओर से वेटलिफिटिंग,पावर लिफिटिंग आदि मे मंडलीय,प्रदेशीय,तथा राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं मे हिस्सा लेते रहे।
सर्वप्रथम राजाराम को 1993-94मे देहरादून मे आयोजित राज्यस्तरीय प्रतियोगिता मे सिल्वर मेडल मिला और इसी वर्ष राष्ट्रीय स्तर के खेलो मे भी दो स्वर्ण पदक मिला।इसके वाद फिर ये पीछे मुडकर कभी नही देखे।वर्ष1994-2007तक लगातार पावरलिफिटिंग,वेटलिफिटिंग,लांग जम्प,दौड,डिसकस,गोलाफेंक,भालाफेंक प्रतियोगिता मे नौ स्वर्ण,नौ रजत,दो कंास्य पदक प्राप्त किये।प्रदेश स्तरीय तथा मंडलीय प्रतियोगिता मे42स्वर्ण,47रजत,23कांस्य पदक प्राप्त किये।ये इसे हासिल कर जनपद ही नही अपितु पूरे प्रदेश का नाम रौशन किया।
वर्ष1948मे जन्म लेने वाले स्व.मातादीन यादव के इस सपूत ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने का संकल्प लिया था कि ये एक अच्छे खिलाडी बनेंगे।माता लखपती देवी भी यही चाहती थी।इसमे इनकी पत्नी स्व.बरमदेइ ने भी साथ दिया।इनको दो लडकियां शांति और मालती पैदा हुयी।इनसे इनको दो नाती सूरज,चंदन पैदा हुये।इन्हे अभी से ही दौड व अन्य एथलीट के गुर सिखा रहे हैं।जबकि ये अभी कक्षा 8और6के छात्र हैं।इनसे इन्हे काफी उम्मीदें है।गांव के ही स्कूल मे कक्षा पांच तक की शिक्षा ग्रहण की।वर्ष2008मे सेवानिवृत्त हो गये।64वर्षीय राजाराम इसके पूर्व 18राज्यो मे खेल के लिये भ्रमण कर चुके है।आज भी 14सेकेंड मे100मीटर व28सेकेंड में200मीटर की दूरी तय करतंे है।आज भी ये दौड मे किसी युवा से कम नही हैं। वातचीत के दौरान उन्होने वताया कि आज की युवा पीढी खेलकूद मे कम तथा टीवी,वीडियोगेम आदि मे अधिक रुचि ले रही है।यदि शासन व प्रशासन की तरफ से मदद मिले तो क्षे़़त्रीय प्रतिभा को प्रांतीय तथा राष्ट्रीय व अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का प्रयास करेगे।गांव मे ही एक व्यायामशाला बनवाने की उनकी दिली तमन्ना है।जिसमे क्षेत्र के युवाओ को खेल के प्रति रुझान पैदा कर सकें और इन्हे तराशकर अच्छा एथलीट बनाया जा सके।क्षेत्र मे खेल को वढाने हेतु इन्हे किसी तरह की सुविधा आज तक न मिलने का इन्हे मलाल है।