उच्च न्यायालय ने सहायक लेखाकारों के पक्ष में सुनाया फैसला
https://www.shirazehind.com/2014/09/blog-post_987.html
हाईकोर्ट के इस फैसले का जनपद के शिक्षकों ने किया स्वागत
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के अनुदानित लगभग 200 महाविद्यालयों में सहायक लेखाकार का एकल पद है जिनमें बहुत ऐसे भी हैं जहां या पद नहीं है या सेवानिवृत्त होने के कारण पद रिक्त चल रहा है, क्योंकि शासन स्तर पर नियुक्ति न होने से पद सृजित नहीं हो रहा है। संख्या सीमित होने से शासन द्वारा इनकी जायज मांगों को कभी गम्भीरता से नहीं लिया गया। इसी को लेकर विगत कुछ वर्षों से सहायक लेखाकारों द्वारा शासन से यह मांग की जाती रही कि हमारी नियुक्ति सहायक लेखाकार पद पर होती है तथा हम सेवानिवृत्त हो जाते हैं जबकि हमारे ही योग्यताधारी इस पद पर नियुक्त अन्य अधिकारी विभागों में 3 वर्ष के बाद पदोन्नति प्राप्त कर लेखाकार तत्पश्चात् सहायक लेखाधिकारी सहित उच्च पद तथा उच्चीकृत वेतनमान प्रदान किये जाते हैं। उक्त संदर्भ में पदोन्नति एवं उच्च वेतनमान सहित अन्य समस्त लाभों से सम्बन्धित है कि दोहरे मापदण्ड को लेकर राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सहायक लेखाकार सुधाकर मौर्य, टीडीपीजी कालेज के अजय सिंह, सल्तनत बहादुर पीजी कालेज बदलापुर के रितुपर्ण सिंह, सहकारी पीजी कालेज मिहरावां के विवेक सिंह, मडि़याहूं पीजी कालेज के प्रशांत पाण्डेय, नागरिक पीजी कालेज जंघई के रंजन शर्मा ने उच्च न्यायालय में रिट दाखिल किया था जिस पर विद्वान न्यायाधीश पीके सिंह बघेल ने खण्डपीठ ने अपने निर्णय व आदेश के द्वारा याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित करते हुये प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को आदेशित किया कि प्रार्थीगण को सहायक लेखाकार से लेखाकार तत्पश्चात् लेखाधिकारी के पद पर देयकों व लाभों के साथ पदोन्नति एवं उच्च वेतनमान प्रदान हो। न्यायालय के इस निर्णय पर पूविवि शिक्षक संघ के सदस्य डा. अखिलेश्वर शुक्ल, जनपद शिक्षक संघ के सदस्य डा. पीके सिंह, महाविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अखिलेश पाण्डेय, टीडी कालेज के प्राचार्य डा. यूपी सिंह, मिहरावां पीजी कालेज के प्राचार्य डा. एसपी सिंह, जमुआही महाविद्यालय के प्राचार्य डा. एसडी सिंह सहित अन्य ने प्रसन्नता जतायी है।
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के अनुदानित लगभग 200 महाविद्यालयों में सहायक लेखाकार का एकल पद है जिनमें बहुत ऐसे भी हैं जहां या पद नहीं है या सेवानिवृत्त होने के कारण पद रिक्त चल रहा है, क्योंकि शासन स्तर पर नियुक्ति न होने से पद सृजित नहीं हो रहा है। संख्या सीमित होने से शासन द्वारा इनकी जायज मांगों को कभी गम्भीरता से नहीं लिया गया। इसी को लेकर विगत कुछ वर्षों से सहायक लेखाकारों द्वारा शासन से यह मांग की जाती रही कि हमारी नियुक्ति सहायक लेखाकार पद पर होती है तथा हम सेवानिवृत्त हो जाते हैं जबकि हमारे ही योग्यताधारी इस पद पर नियुक्त अन्य अधिकारी विभागों में 3 वर्ष के बाद पदोन्नति प्राप्त कर लेखाकार तत्पश्चात् सहायक लेखाधिकारी सहित उच्च पद तथा उच्चीकृत वेतनमान प्रदान किये जाते हैं। उक्त संदर्भ में पदोन्नति एवं उच्च वेतनमान सहित अन्य समस्त लाभों से सम्बन्धित है कि दोहरे मापदण्ड को लेकर राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सहायक लेखाकार सुधाकर मौर्य, टीडीपीजी कालेज के अजय सिंह, सल्तनत बहादुर पीजी कालेज बदलापुर के रितुपर्ण सिंह, सहकारी पीजी कालेज मिहरावां के विवेक सिंह, मडि़याहूं पीजी कालेज के प्रशांत पाण्डेय, नागरिक पीजी कालेज जंघई के रंजन शर्मा ने उच्च न्यायालय में रिट दाखिल किया था जिस पर विद्वान न्यायाधीश पीके सिंह बघेल ने खण्डपीठ ने अपने निर्णय व आदेश के द्वारा याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित करते हुये प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को आदेशित किया कि प्रार्थीगण को सहायक लेखाकार से लेखाकार तत्पश्चात् लेखाधिकारी के पद पर देयकों व लाभों के साथ पदोन्नति एवं उच्च वेतनमान प्रदान हो। न्यायालय के इस निर्णय पर पूविवि शिक्षक संघ के सदस्य डा. अखिलेश्वर शुक्ल, जनपद शिक्षक संघ के सदस्य डा. पीके सिंह, महाविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अखिलेश पाण्डेय, टीडी कालेज के प्राचार्य डा. यूपी सिंह, मिहरावां पीजी कालेज के प्राचार्य डा. एसपी सिंह, जमुआही महाविद्यालय के प्राचार्य डा. एसडी सिंह सहित अन्य ने प्रसन्नता जतायी है।