भारत को पुनः विश्व गुरू बनाने के लिए सबको कठोर परीश्रम करना होगा

 जौनपुर। प्रदेश के राज्यपाल व कुलाधिपति श्रीराम नाइक ने कहा कि महाशक्ति बनने के लिए विध्वंसक नही,सृजनात्मक दृष्टिकोण रखना जरूरी है। भारत को पुनः विश्व गुरू बनाने के लिए सबको कठोर परीश्रम करना होगा।
        महामहिम राज्यपाल रामनाइक ने आज जौनपुर में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता करते हुए अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने विद्यार्थियों के व्यक्तित्व सुधार के चार सूत्र मुस्कान, गुण गौरव करना, दूसरों को अपमानित न करना व काम को और अच्छा तरीका बताते हुए कहा कि भारत युवा देश है और 2020 तक सबसे बड़ी ताकत के रूप में सामने आयेगा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन कभी समाप्त नही होता है। उपाधि लेने के बाद आप खुले आकाश में जायेगे, जहाॅ कड़ी प्रतिस्पर्घा है ऐसे में अब आपको नई स्पर्घा की तैयारी एवं कड़ी मेहनत करनी होगी। उन्होंने कहा कि एक समय था जब नालंदा, तक्षशिला व उज्जैन में लोग विदेशों से पढ़ने आते थें।ं उस समय पर्याप्त संसााधन भी नही था। उन्होंने कहा कि आज देश में शिक्षा का विस्तार हुआ है। देश में करीब 700 विश्वविद्यालयों व 35 हजार महाविद्यालयों में करीब दो करोड़ विद्यार्थी अध्ययनरत है। उन्होंने कहा कि दिल में पीड़ा है कि हम दुनिया के 200 शिक्षण संस्थाओं में एक भी स्थान नही बना पा रहे है। पूर्वांचल विश्विविद्यालय के 475 महाविद्यालयों में 1 लाख 20 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत है। उन्होंने जौनपुर के बारे में बताया कि यह शहर शिक्षा, कला, संस्कृति का बहुत बड़ा केन्द्र था। उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है। जो समाज अपना पूर्व इतिहास नही याद रखता वह आगे कभी प्र्रगति नही कर सकता। इस अवसर पर 21 छात्र 30 छात्राओं को गोल्ड मेडल दिया गया। राज्यपाल ने विद्यार्थियों को क्षण-क्षण बचाकर विद्या व कण-कण बचाकर धर्म अर्जन करने की पवृत्ति अर्जित करने की सीख दी। राज्यपाल ने दोहराये चारमंत्र 1- जीवन में आगे बढ़ा है तो हॅंसमुख बने, 2- छोटा हो या बड़ा जो अच्छा करे उसके गुणों की प्रसंशा करना चाहिए। 3- न करें अहम दूसरों की भावनाओं को न पहुंचरयें ठेस, 4- जो भी कार्य करें उसे और अच्छा करने का करते रहें प्रयास। 
         इससे पूर्व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व महानिदेशक डी0आर0डी0ओ0,नीति आयोग के सदस्य, पद्मभूषण डाॅ0 वी0के0 सारस्वत ने कहा कि विज्ञान और तकनीकि के क्षेत्र में जो भी कार्य या शोध हो रहे हों वह देश की संस्कृति व जीवन शैली को ध्यान में रखकर किये जाये तभी इसका लाभ यहां के लोगों को मिल पायेगा। यही महात्मागांधी की भी सोच थी। उन्होंने कहा कि आज हमारे देश की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता ऊर्जा है। इसे पूरा करने के लिए हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने का प्रयास कर रहे है। भारत के लिए विज्ञान और तकनीकि के प्रेरणाश्रोत डाॅ0 सी0वी0रमन, डा0 भटनागर, डा0 भाभा, डा0 विक्रम साराभाई के योगदानों की चर्चा की। स्वस्थ भारत के विकास के लिए उन्होंने उचित वातावरण व पर्यावरण पर बल दिया। प्रधानमंत्री के मेक इन इण्डिया कार्यक्रम के अन्तर्गत क्षेत्रीय ट्रांस्पोर्ट एयरक्राफ्ट, मानव रहित सूक्ष्म हवाई जहाजों इत्यादि के देश में उत्पादन बढ़ाने की चर्चा की।  उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव नेटवर्किंग माॅडल का भी जिक्र किया जिसमें विश्वविद्यालय एवं उद्योगों के माॅडल तथा विश्वविद्यालय शोध एवं विकास संस्थाओं के नेटवर्किंग माॅडल के बारे में भी जानकारी दी।
      कुलपति पू0वि0वि0 द्वारा छात्रों के लिए चान्सलर एवार्ड की घोषणा की गयी। कुलपति पीयूष रंजन द्वारा महामहिम सहित मुख्य अतिथि डाॅ0 विजय कुमार सारस्वत सहित अन्य अतिथिों का स्वागत करते हुए सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले विभिन्न संकाय के छात्र,छात्राओं को उपाधि प्रदान करने की स्वीकृति प्रदान किया। प्रारम्भ में वीर बहादुर सिंह एवं महात्मागांधी के मूर्ति पर माल्यार्पण करने के उपरान्त कुलसचिव बी0के0पाण्डेय के नेतृत्व में शोभायात्रा संकुल भवन पहुंची। सर्वप्रथम दीप प्रज्जवलित कर सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया। विश्वविद्यालय के कुलगीत संगीता अंशुमान एवं उनके साथियों द्वारा जौनपुरी राग में प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डाॅ0 एच0सी0पुरोहित ने किया।
        इस अवसर पर पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद, पूर्व सांसद कमला प्रसाद सिंह, विधायक मुंगराबादशाहपुर सीमा द्विवेदी, मण्डलायुक्त वाराणसी राजेन्द्र मोहन श्रीवास्तव,पूर्व कुलपति डाॅ0 कीर्ति सिंह, पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह, प्रबन्धक टी0डी0 कालेज अशोक सिंह, प्राचार्य उदय प्रताप सिंह, डाॅ0 लालजी त्रिपाठी, डाॅ0 मनोज मिश्र, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी डाॅ0 आर0पी0सिंह, पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार, प्रभारी जिलाधिकारी पी0सी0श्रीवास्तव, अपर जिलाधिकारी गंगाराम गुप्त, अपर पुलिस अधीक्षक द्वय ओ0पी0पाण्डेय, रामजी सिंह यादव, डा0 के0ए0 तोमर सहित भारी संख्या में प्रशासनिक व पुलिस के अधिकारी व जवान तैनात रहे। 

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