ये आदमी जो समझने लगे लहू का मिजाज, फिर से सारा जहाॅ खानदान हो जाये....

   जफराबाद कस्बे में हुआ अजीमुश्शान मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन।
    शायरों एवं कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं किया मंत्रमुग्ध।
जफराबाद। ये आदमी जो समझने लगे लहू का मिजाज, फिर से सारा जहाॅ खानदान हो जाये। किसी की बात पे कैसे कोई यकीन करे, किसी के मुॅह में किसी की जुबान हो जाये..... कौमी एकता से लबो-लबरेज उक्त पंक्तियां मशहूर शायर इबरत मछलीशहरी ने शनिवार को जफराबाद कस्बे के एम0एच0 कान्वेन्ट स्कूल के परिसर में जफराबाद के बज्में अदब कमेटी, सभासदों एवं पत्रकारों द्वारा आयोजित अजीमुश्शाान मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में पढ़ी।
 मशहूर शायर व कवि शंकर बनारसी ने नातिया कलामे पाक या खुदा मुस्तफा के सदके में, सबकी तौबा कबूल हो जाय....से इस अजीमुश्शान मुशायरे व कवि सम्मेलन की शुरूआत की और आगे अपनी हसीन शायरी ‘‘मैं जो तुमकों कभी लाचार किया करता हॅू, बात इतनी है कि बस प्यार किया करता हॅू  बोलो या ना बोला ये तुम्हारी मरजी, मैं बस दूर से दीदार किया करता हॅू‘‘ पेश कर खूब वाहवाही लूटी। शायर खलील राही बनारसी अपनी गजल या रब हमारे मुल्क में अन्नो अमां रहे, महफूज हर बला से ये हिन्दुस्तां रहे...मोनिस जौनपुरी ने अपनी रचना पहले तो अपने कुनबे घराने की बात कर, फिर उसके बाद सारे जमाने की बात कर....पेश कर प्रोग्राम में चार चांद लगा दिया। कम्बख्त जौनपुरी एवं मुस्तई जौनपुरी ने वर्तमान सामाजिक परिवेश, राजनीति, गुण्डागर्दी, भ्रष्टाचार पर आधारित अपनी हास्य रचना पेश कर श्रोताओं को लोट-पोट कर दिया। शायर हसरत जौनपुरी ने जो अपने वालिदे की खिदमत नहीं करता, अल्लाह उससे कभी मोहब्बत नहीं करता.....मुश्ताक बनारसी ने इस रस्में मोहब्बत को निभाया जाय, ईद पीकर हंसे होली भी मनाया जाय....शमीम जफराबाद ने रखा है किसी ने मुझे दीवाना बनाकर, तेरी याद को सीने से लगाकर....मेंहदी सिरसों जौनपुरी ने अपना किरदार संवारों तो संवर जाओगे, वरना दुनिया की निगाहों से उतर जाओगें..इरफान जौनपुरी ने इस शहर के रंगी जलवों न आना यारों, ये शहरे मोहब्बत है, इसमें हर रोज कयामत होती है......के0के0 मिश्रा ‘‘इश्क सुल्तानपुरी‘‘ ने वक्त होता है जब मुआसिब तो गैर को मेहमां बना देता है..... प्रेमचन्द जफराबादी ने गंगा-जमुनी तहजीब से ओत-प्रोत रचना है अमृत जो गंगाजल, आब-ए-जम जम भी न्यारा है....रेहान हासमी भदोहवी ने हमे अब रहनुमा व रहवर की जरूरत है, हमारी रहुनमाई के लिए कुरआन जिन्दा है..कैसर भदोहवी ने सच्चाई का दामन छूटा तो बहुत रोया, दुनिया की हकीकत को समझा तो बहुत रोया....आकिल नस्मबद ने गुनहगार पर खुदा इतना करम कर दे......डा0 पी0सी0 विश्वकर्मा ‘‘प्रेम जौनपुरी‘‘ ने देखा है आदमी को आदमी से फरेब, फिर भी लगाव आदमी को आदमी से हैं....मिसरदार आजमी ने ऐ मेरे मालिक नवाज दे मुझको, वरना मेरी ख्वाहिशे कम कर दें......राबिस दिलावरपुरी ने खुदा से जो दूर रहता है, वह परेशां जरूर रहता है....असीम मछलीशहरी, अकरम जौनपुरी, हैदर राज आब्दी, जेना आब्दी, अरविन्द सिंह, निसार आब्दी, मजनू भदोहवी, अफजल जफराबादी आदि शायरों व कवियों ने एक से बढ़कर एक अपने गीत, गजल, शेरो-शायरी पेश कर श्रोताओं को वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया।
इसके पूर्व अजीमुश्शान मुशायरा एवं कवि सम्मेलन की मुख्य अतिथि  रेखा बरनवाल एवं विशिष्ट अतिथि विजय बरनवाल, प्रमोद बरनवाल, सूबेदार सिंह, डा0 सर्फराज का लोगों ने माल्यार्पण कर स्वागत किया। बज्में अदब कमेटी के अध्यक्ष अब्दुल अलीम एवं उपाध्यक्ष इजहार हुसैन ‘‘बब्बू‘‘ संयोजक परेवज कुरैशी ‘‘कल्लू‘‘ ने बैच लगाकर सभी शायरों एवं कवियों का जोरदार स्वागत किया। शायर बशीर आब्दी ने मुशायरे की अध्यक्षता करते हुए सभी के प्रति आभार प्रकट किया। संचालन मशहूर शायर मो0 आरिफ सिद्दीकी एडवोकेट ने किया। इस अवसर पर महताब हुसैन ‘‘पप्पू‘‘ मो0 अन्जुम, समसुद्दीन, शीतला गिरि, शाह नेयाज अहमद, दिलशाद खां, गुफरान खां, उमेश मिश्रा, बृजनन्दन स्वरूप, विनय श्रीवास्तव, उमाकान्त गिरि, अखिलेख सिंह, कृपा यादव, मो0 जावेद, जमाल हाश्मी, विकास सेठ, बसावन अग्रहरि, डा0 कयूम अंसारी, डा0 अब्दुल सलाम, चैकी प्रभारी रियाजुद्दीन, राजकेशर एडवोकेट सहित सैकड़ो श्रोतागण उपस्थित रहे।


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