नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथामृत पान का हुआ समापन
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अंतिम दिन आयोजित भण्डारे में हजारों भक्तों ने ग्रहण किया प्रसाद
जौनपुर। नगर के नखास अन्तर्गत गोपी घाट पर स्थित श्री संकट मोचन मंदिर के प्रांगण में आयोजित 9 दिवसीय अखिल विश्व कल्याणार्थ शतचण्डी महायज्ञ एवं संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथामृत पान का समापन हो गया जहां यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद विशाल भण्डारे का आयोजन हुआ। श्री शिव रामजानकी चारधाम बैकुण्ठपुरी मंदिर जनकल्याण समिति वृंदावन द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम 10 से 18 मई तक चला जिसके बाद आयोजित भण्डारे में हजारों ने भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। कथा के माध्यम से संत श्री विजयानन्द जी महाराज ‘त्यागी’, वृजबिहारी शास्त्री वृंदावन सहित अन्य संतों ने समाज को संदेश दिया। इस दौरान डब्बू यादव सहित उनकी टीम के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक आकर्षक झांकी की प्रस्तुति करके सभी को भाव-विभोर कर दिया। परमपूज्य सद्गुरूदेव भगवान श्री श्री 1008 स्वामी हौसलानन्द जी महाराज ‘महात्यागी निःस्वार्थ कर्मयोगी’ के प्रेरणा से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा व भण्डारे को सफल बनाने में समाजसेवी सूरज निषाद, मुकेश श्रीवास्तव, अवकाशप्राप्त शिक्षक शम्भू रतन विश्वकर्मा, सूरज पण्डा, रविन्द्र निषाद, बलराम निषाद, सुशील वर्मा एडवोकेट सहित सैकड़ों भक्तों का योगदान रहा। अन्त में आयोजक अखिलेश चन्द्र विश्वकर्मा ने समस्त संतों सहित श्रद्धालुओं के प्रति आभार व्यक्त किया।
जौनपुर। नगर के नखास अन्तर्गत गोपी घाट पर स्थित श्री संकट मोचन मंदिर के प्रांगण में आयोजित 9 दिवसीय अखिल विश्व कल्याणार्थ शतचण्डी महायज्ञ एवं संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथामृत पान का समापन हो गया जहां यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद विशाल भण्डारे का आयोजन हुआ। श्री शिव रामजानकी चारधाम बैकुण्ठपुरी मंदिर जनकल्याण समिति वृंदावन द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम 10 से 18 मई तक चला जिसके बाद आयोजित भण्डारे में हजारों ने भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। कथा के माध्यम से संत श्री विजयानन्द जी महाराज ‘त्यागी’, वृजबिहारी शास्त्री वृंदावन सहित अन्य संतों ने समाज को संदेश दिया। इस दौरान डब्बू यादव सहित उनकी टीम के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक आकर्षक झांकी की प्रस्तुति करके सभी को भाव-विभोर कर दिया। परमपूज्य सद्गुरूदेव भगवान श्री श्री 1008 स्वामी हौसलानन्द जी महाराज ‘महात्यागी निःस्वार्थ कर्मयोगी’ के प्रेरणा से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा व भण्डारे को सफल बनाने में समाजसेवी सूरज निषाद, मुकेश श्रीवास्तव, अवकाशप्राप्त शिक्षक शम्भू रतन विश्वकर्मा, सूरज पण्डा, रविन्द्र निषाद, बलराम निषाद, सुशील वर्मा एडवोकेट सहित सैकड़ों भक्तों का योगदान रहा। अन्त में आयोजक अखिलेश चन्द्र विश्वकर्मा ने समस्त संतों सहित श्रद्धालुओं के प्रति आभार व्यक्त किया।