आखिर क्यू डरते है नेताओ और मंत्रियो से अफसर ?

कठिन परिश्रम से पढ़ाई लिखाई और मां बाप की गाढ़ी मेहनत की कमाई व उनके आर्शीवाद के चलते देश की सर्वोच्च परीक्षा पास करने बाद आईएएस आईपीएस अफसर बनने वाले डीएम एसपी आखिर क्यू मंत्रियों नेताओ से डरते है। क्या ये मंत्री और नेता उनकी काबिलियत को खा सकते है ? हा ये सत्ताधारी नेता बस उनको जिलो से हटाकर सचिवालय भेजने के अलावा अधिकारियों का बाल भी बाका नही कर सकते। इसके बाद भी आईएएस आईपीएस अफसर नेताओ के गलत कामो को क्यों करते है। एक नेता गलत हुक्म मानकर जहां अदालतो में उन्हे जलील होना पड़ता वही जनता की अदालत में उनकी खूब किरकिरी होती है।
आईएएस आईपीएस पीसीएस पीपीएस अधिकारियों समेत सभी सरकारी मुलाजिम नौकरी शुरू करने से पहले कसमें खाते है कि मै पूरी इमानदारी और निष्ठा पूर्वक जनता का सेवा करूगां। लेकिन जैसे ही ये अफसर डीएम एसपी की कुर्शी पर आसिन होते है उसी समय से सत्ताधारी नेताओं और मंत्रियों सांसदो विधायको का दबाव शुरू हो जाता है। इसमें से बहुत कम ही नेता ऐसे होगे जो सही काम करने के लिए अधिकारियों को फोन करता है अधिकतर नेताओं का दबाव गलत कार्यो को करने लिए होता है। खासकर इस सरकार में।
जो अधिकारी नेताओं के गलत कार्यो को करने से इंकार कर देता है उसका तबादला कर दिया जाता है या उसके साथ मारपीट किया जाता है। अभी हाल ही में मिर्जापुर जिले के आरटीओ ने राज्यमंत्री कैलाश चैरसिया का हुक्म नही माना तो मंत्री व उनके गुर्गो ने अपने कैंप कार्यालय बुलाकर मारपीट किया। हैरत की बात यह रही कि पीडि़त एक अधिकारी है इसके बाद भी पुलिस ने उसकी रपट तक नही लिखी थकहारकर उस अधिकारी ने कोर्ट की शरण लिया तब कही जाकर उसकी एफआईआर दर्ज किया गया। लेकिन आज तक किसी आरोपी को गिरफ्तार नही किया गया।
जौनपुर में एक कैबिनेट मंत्री ने उषा मौर्या नामक महिला की जमीन को अपने साथ रहने वाले दिलीप प्रजापति ने नाम लिखवा कर उस पर कब्जा कर लिया है। महिला के पक्ष में सभी कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए लाईनबाजार थाने को आदेश दिया है कि उषा को जमीन पर कब्जा दिलाया जाय। लेकिन मंत्री के मौखिक आदेश के आगे कोर्ट का आदेश बेअसर दिखाई पड़ रहा है। कोर्ट के आदेश के दो माह बीत चुका है लेकिन आज तक उसकी जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए किसी अधिकारी ने हिम्मत नही जुटा पाया है। उषा कोर्ट का आदेश लेकर डीएम एसपी डीआईजी आई तक के कार्यालयों का चक्कर काट रही है लेकिन आज तक सभी अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन नही करा पाये है। आखिर किस डर से ये आला अफसर अपने कर्तब्यों का निर्वाह नही कर रहे क्यो नौकरी की शुरूआत करते समय खाये हुए कसमों को तोड़ रहे किस बात का डर है। इन अफसरो को बखूबी पता है एक दिन उन्हे कोर्ट के आदेश का अवहेलना करने के मामले में न्यायालय की फटकार भी सुननी पड़ सकती है उधर जनता अधिकारियों पर सवालिया निशान भी लगा रही है। 
कुछ लोगो ने कहा कि अधिकारियों को अपने तबादले का डर सता रहा इस लिए वे कोर्ट के आदेश को कम और मंत्री के मौखिक आदेश को ज्यादा तवज्जो दे रहे है।


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