कर्नल निजामुद्दीन की बातों से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत का रहस्य और गहराया

जंगे आजादी की लड़ाई में आजाद हिन्द फौज की स्थापना कर अंग्रेजो से लोहा लेने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन और मौत से जुड़े तमाम रहस्यों का रिश्ता यूपी के आजमगढ़ के मुबारकपुर इलाके के ढकवा गांव से भी है.
जहां पर नेताजी के अंगरक्षक और ड्राईवर रहे कर्नल निजामुद्दीन जीवन के अन्तिम पड़ाव पर नेताजी से जुड़ी यादों को ताजा करके जी रहे हैं.
आपको बता दें कि कर्नल निजामुद्दीन के पिता रंगून में कैन्टीन चलाते थे और छोटी उम्र में ही कर्नल निजामुद्दीन उनके साथ चले गये थे.
इसी दौरान अंग्रेजों ने कर्नल निजामुद्दीन को पकड़ लिया और अपनी सेना में शामिल कर दिया लेकिन अंग्रेज सेनापति के भारतीयों के प्रति बोले गये व्यंग से आहत निजामुद्दीन और उनके कई साथियों ने बगावत कर दिया.
वो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गये अपनी कर्मठता और ईमानदारी से जल्द ही निजामुद्दीन नेताजी के करीबी हो गये और उनके ड्राईवर और अंगरक्षक बन गए. बाद में नेताजी की गोपनीय युद्ध नीति के हिस्सा भी रहे.
नेताजी की 1945 में हवाई जहाज दुर्घटना में मौत की बात भले आम हो गई हो लेकिन कर्नल निजामुद्दीन कहते हैं कि 1947 में नेताजी खुद इनके साथ थे और निजामुद्दीन ने ही नेताजी को बोट से थाईलैंड रवाना किया था.
कर्नल निजामुद्दीन की इस बात से नेताजी की मौत का रहस्य और गहरा गया है. 115 साल के कर्नल निजामुद्दीन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के शायद आखिरी जीवित साथी हैं. नेताजी के चाहने वाले आज भी कर्नल निजामुद्दीन के यहां आते हैं. दो महीने पहले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पौत्री राजश्री मिलने आईं थी.

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