बेटियां करती हैं दो कुल को पवित्रः वशिष्ठ जी
https://www.shirazehind.com/2015/09/blog-post_334.html
नवदुर्गा शिव मंदिर पर चल रहा पांच दिवसीय श्रीरामकथा
जौनपुर। बेटियां पति व पिता दोनों के कुल को पवित्र करती हैं। आज समाज में बेटियों को हेय दृष्टि से देखा जाता है। बेटियां भारी लग रही हैं। दहेज रूपी अभिशाप के चलते आज बेटी माता-पिता को भारी लगती हैं जबकि बेटों की अपेक्षा बेटियों में सेवा की भावना प्रबल होती है।
उक्त विचार नगर के मोहल्ला नखास के विसर्जन घाट पर स्थित नवदुर्गा शिव मंदिर के पवित्र प्रांगण में चल रहे पांच दिवसीय श्रीरामकथा में मानस मर्मज्ञ पं. वशिष्ठ नारायण जी महाराज ने व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि बेटा व बेटी दोनों एक ही मां की कोख से जन्म लेते हैं लेकिन वही मां बेटा व बेटी में विभेद करने लगती है। बेटा एक कुल तारता है जबकि बेटी दो कुल तारती है। राजा जनक ने जब चित्रकूट में अपनी बेटी सीता को तपस्विनी भेष में देखा तो बोल पड़े- पुत्री पवित्र किये कुल दोऊ, धवल सुयस जब कहं सब कोऊ।
अन्त में मानस वक्ता ने कहा कि बेटी व बेटे दोनों को सम्मान दें तथा समान रूप से शिक्षा-दीक्षा दें। इस दौरान मंदिर के पुजारी आनन्द कुमार ने समस्त समस्त श्रोताओं से अपील किया कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर रामकथा का श्रवण करें और मानव जीवन को सफल बनायें। इस अवसर पर आयोजन समिति के अलावा तमाम लोग उपस्थित रहे।
जौनपुर। बेटियां पति व पिता दोनों के कुल को पवित्र करती हैं। आज समाज में बेटियों को हेय दृष्टि से देखा जाता है। बेटियां भारी लग रही हैं। दहेज रूपी अभिशाप के चलते आज बेटी माता-पिता को भारी लगती हैं जबकि बेटों की अपेक्षा बेटियों में सेवा की भावना प्रबल होती है।
उक्त विचार नगर के मोहल्ला नखास के विसर्जन घाट पर स्थित नवदुर्गा शिव मंदिर के पवित्र प्रांगण में चल रहे पांच दिवसीय श्रीरामकथा में मानस मर्मज्ञ पं. वशिष्ठ नारायण जी महाराज ने व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि बेटा व बेटी दोनों एक ही मां की कोख से जन्म लेते हैं लेकिन वही मां बेटा व बेटी में विभेद करने लगती है। बेटा एक कुल तारता है जबकि बेटी दो कुल तारती है। राजा जनक ने जब चित्रकूट में अपनी बेटी सीता को तपस्विनी भेष में देखा तो बोल पड़े- पुत्री पवित्र किये कुल दोऊ, धवल सुयस जब कहं सब कोऊ।
अन्त में मानस वक्ता ने कहा कि बेटी व बेटे दोनों को सम्मान दें तथा समान रूप से शिक्षा-दीक्षा दें। इस दौरान मंदिर के पुजारी आनन्द कुमार ने समस्त समस्त श्रोताओं से अपील किया कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर रामकथा का श्रवण करें और मानव जीवन को सफल बनायें। इस अवसर पर आयोजन समिति के अलावा तमाम लोग उपस्थित रहे।