इस मंदिर में देवी को कौड़ियां चढ़ाने से भक्तों के घर आती है लक्ष्मी
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वाराणसी। शास्त्रों में धन की देवी लक्ष्मी को माना गया है।
काशी के खोजवा मोहल्ले में एक ऐसा मंदिर है, जहां मां लक्ष्मी कौड़िया देवी
के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर में कौड़ियां चढ़ाने से कभी जीवन में
धन की कमी नहीं होती है। पुजारी मनीष तिवारी के अनुसार मंदिर का इतिहास 13
हजार साल पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि दक्षिण भारत से कौड़िया देवी काशी
में बाबा विश्वनाथ के दर्शन को आई थीं। छुदरों की बस्ती में भ्रमण के दौरान
उन्होंने अपमान किया था। कई दिनों तक छुदरों के स्पर्श की वजह से उन्होंने
भोजन त्याग दिया था। तब मां अन्नपूर्णा ने उन्हें दर्शन दिए और उनको इसी
स्थान पर कौड़ी देवी के रूप में विराजमान कर दिया। मां ने कहा कि कौड़ी जिसे
कोई नहीं मानता तुम उसी रूप में पूजी जाओगी और हर युग में पूजन करने वाला
भक्त धनवान होगा।
पुजारी मनीष तिवारी ने बताया कि शिव पुराणों और काशी खंड में भी
कौड़िया देवी के बारे में बताया गया। कहा जाता है कि कौड़िया देवी को जो
श्रद्धालु इस मंदिर में प्रसाद के रूप में पांच कौड़िया दान कर पूजन करता
है, उसे धन की कभी कोई कमी नहीं रहती है। पांच में से एक कौड़ी अपने खजाने
में ले जाकर रखना होता है। इसी वजह से मान्यता को लेकर ये तमाम भक्त हाथो
में कौड़िया लिए देवी के दरबार में आते है। कई लोग अब तक कौड़ी चढ़ाकर
करोड़पति बन भी चुके हैं। घर में कितनी भी गरीबी हो यदि यहां आकर दर्शन
पूजन भक्त कर लेता है तो उसके सारे दुख कट जाते हैं।
पुजारी मनीष तिवारी ने बताया कि मां काशी विश्वनाथ की मानस बहन भी कहलाती
हैं। ग्रंथो में वर्णित कथा है कि द्वापर युग में वनवास के समय भगवान राम
को शबरी ने जूठे बेर खिलाये थे। बाद में शबरी को अपनी गलती का एहसास हुआ कि
एक अछूत के हाथों भगवान राम ने जूठे बेर खाए हैं। शबरी ने जब उन्हें सच
बता दिया तो भगवान राम ने उन्हें माफ कर दिया। साथ ही वरदान दिया कि कलयुग
में तुम्हारी पूजा होगी और भोग प्रसाद में कौड़ियां चढ़ेंगी। तुम शिव की
नगरी काशी में जाकर रहो।