शाहनवाज-गीता की प्रेम कहानी को मिला मोदी के ई-रिक्शा का सहारा
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वाराणसी। करीब 20 साल पुरानी एक लव स्टोरी और उसके बाद वैवाहिक
जीवन को पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नया सहारा दिया है। पीएम ने
मल्टीपरपज ग्राउंड में ई-रिक्शा और पैडल रिक्शा वितरण कार्यक्रम में एक ऐसे
दंपति को भी जीविका के लिए ई-रिक्शा दिया, जिनमें से पति मुसलमान और उसकी
पत्नी हिंदू है। इनका नाम है शाहनवाज और गीता। शाहनवाज वाराणसी के
पांडेयपुर के हैं, जबकि गीता कोलकाता की रहने वाली हैं। गीता से शादी के
बाद भी शाहनवाज रिक्शा खरीद नहीं सका था, पहले वह कोलकाता में ही रिक्शा
खरीदना चाहता था, लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं हुआ। वहीं, अब मोदी ने उसके सपने
को हकीकत में तब्दील कर दिया।
ई-रिक्शा मिलने के बाद शाहनवाज और गीता के चेहरे पर चमक थी। उनकी 13
साल की बेटी आरती की खुश दिख रही थी। dainikbhaskar.com ने दंपति से बात की
और उनकी जिंदगी में अब तक चली जद्दोजहद की जानकारी ली। शाहनवाज ने बताया
कि मोदी ने उससे पूछा कि क्या करते हो। इस पर शाहनवाज ने बताया कि मजदूर
हूं। इस पर पीएम ने उससे कहा, 'स्किल डेवलप कर खुद, परिवार और देश का विकास
करो, बेटी को खूब पढ़ाओ। एक रिक्शा दिया है, इसे चलाकर कई रिक्शे और
खरीदना।' वहीं, गीता से उन्होंने हाल-चाल पूछने के साथ ही कहा कि गरीब
नहीं, गरीबी दूर करो।
ये है शाहनवाज-गीता की दिलचस्प लव स्टोरी
शाहनवाज ने बताया कि वह करीब 20 साल पहले काम के सिलसिले में कोलकाता
गया था। नया बाजार में एक दिन गीता से उसकी मुलाकात हुई। गीता काफी परेशान
थी। उसने जब गीता से परेशानी पूछी, तो पता चला कि परिवार को पालना उसके लिए
मुश्किल है। जहां भी काम के लिए जाती, लोगों की नीयत खराब मिलती। इस पर
उसने गीता से कहा कि वह उसके साथ मिलकर परिवार को संभाल सकता है। वहां वह
बिल्डिंग बनाने के काम में लग गया और गीता ने सिलाई-बुनाई शुरू कर दी।
दोनों दोस्त हो गए। फिर प्यार हुआ और शादी का फैसला करते ही सामाजिक विरोध
शुरू हो गया। शाहनवाज के मुताबिक उसने और गीता ने विरोध की परवाह नहीं की
और जीवनसाथी बन गए।
गीता बोली- मोदी ने सपना किया पूरा
इस मौके पर उत्साह से चहक रही गीता ने कहा कि शादी के बाद वह शाहनवाज
के साथ कोलकाता से काशी आ गई। पति जो मजदूरी से कमाता, उस पैसे और सिलाई के
पैसे से परिवार मुश्किल से चल रहा था। उसने कहा कि जब मोदी के दफ्तर के
लोगों ने ई-रिक्शा देने के लिए संपर्क साधा, तो विश्वास नहीं हो रहा था।
गीता ने कहा कि मोदी से मुलाकात के बाद सपना पूरा हो गया। 20 साल से गरीबी
से संघर्ष करते रहे और बेटी आरती को पढ़ाने की जद्दोजहद में जुटे रहे। अब
मामूली किस्त पर रिक्शा मिल गया है। इससे अच्छी आमदनी होगी। उसने कहा कि
हिंदू-मुस्लिम की दीवार 20 साल पहले गिराकर प्यार की मिसाल कायम की थी। अब
बेटी को पढ़ाकर अफसर बनाना है।