IAS-IPS बनना चाहते हैं ये ट्रैफिक कांस्टेबल, ड्यूटी संग कर रहे पढ़ाई
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वाराणसी । काशी में दो ट्रैफिक कांस्टेबल सड़क पर गाड़ियों को
संभालने के साथ अपने करियर को रफ्तार देने में जुटे हैं। सिविल सर्विसेज की
तैयारी कर रहे इन दो कांस्टेबल की अधिकारी भी पूरी मदद कर रहे हैं। शिवांक
और सुनील कुमार की पढ़ाई में दिलचस्पी को देखते हुए इन्हें सुबह सात बजे
से दोपहर दो बजे तक की ड्यूटी दी गई है। दोनों एक-एक घंटे के रोटरेशन पर
सर्किल चौराहे को संभालते हैं। एक ट्रैफिक मैनेज करता है तो दूसरा एक घंटे
तक पढ़ाई। दोनों बुक्स के साथ मोबाइल इंटरनेट की भी मदद ले रहे हैं।
मऊ के रहने वाले शिवांक के पिता प्रकाश सिंह किसान हैं। शिवांक ने हाई
स्कूल और इंटर मऊ से किया है। इलाहबाद यूनिवर्सिटी से बीए करने के बाद
करने के बाद वह सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहता था। लेकिन परिवार को
आर्थिक मदद की जरूरत थी। ऐसे में शिवांक ने 2011 में ट्रैफिक पुलिस ज्वाइन
कर लिया। प्रशासनिक अधिकारी बनने की ख्वाहिश को उसने खत्म नहीं होने दिया।
शिवांक ने कहा,'बनारस घनी आबादी वाला शहर है। ट्रैफिक को संभालना बड़ा
चैलेंज है। मेरा साथी जब ट्रैफिक संभालता है तो मैं बूथ में या बाहर बैठ कर
पढ़ाई करता हूं। लोग कई बार हैरानी से देखते हैं कि कांस्टेबल क्या पढ़ रहा
है। ट्यूटी के दौरान भी 4-5 घंटे पढाई कर लेता हूं। शाम को कोचिंग और फिर
रात को बैरक में पढ़ाई करता हूं।'
इलाहाबाद के रहने वाले सुनील कुमार पिता श्रीराम पुलिस विभाग में ही
क्लर्क हैं। सुनील ने हाई स्कूल और इंटर फतेहपुर से की। ग्रेजुएशन और पीजी
कानपुर यूनिवर्सिटी से करने के बाद 2011 में पिता के कहने पर ट्रैफिक
पुलिस ज्वाइन की। लेकिन सुनील का लक्ष्य तो कहीं और है। उसे बीच रास्ते में
रुकना मंजूर नहीं।