काशी विश्वनाथ मंदिर में लागू हुआ ड्रेस कोड, विदेश‍ि‍यों को भी पहननी होगी साड़ी

 वाराणसी। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ मंदिर में अब विदेशी महिलाएं कम कपड़े पहनकर नहीं जा सकेंगी। नए आदेश के अनुसार, रविवार से मंदिर परिसर में विदेशी महिलाओं के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। इसके तहत परिसर में हाफ पैंट, कैप्री, जींस, मिनी स्कर्ट पहनकर जाना मान्‍य नहीं होगा। अब विदेशी महिलाओं को भी भारतीय परंपरा का पालन करते हुए साड़ी पहनना होगा।
क्‍या है पूरा मामला
दरअसल, बीते कई दिनों यह बाते सामने आ रही थी कि विदेशी महिलाएं मंदिर में कम कपड़ों या वे कपड़े जो मंदिर में पहनकर जाने लायक नहीं हैं, को पहनकर मंदिर में दाखिल होती हैं। इसे भारतीय संस्कृति के हिसाब से गलत ठहराया गया। इसके बाद शनिवार को कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने मंदिर परिसर का जायजा लिया। इसके बाद ये फैसला लिया गया कि मंदिर में ऐसे कपड़ों पर रोक लगाई जाए, जिससे भारतीय गरिमा को ठेस पहुंचे।
भारतीय श्रद्धालुओं को होती थी परेशानी
अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीएन दि्वेदी ने बताया कि मंदिर परिसर में दर्शन-पूजन के दौरान विदेशी महिलाएं कम कपड़ों में जाती थीं। इससे भारतीय श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती है। अब उन पर रोक लगाई गई है। उनके लिए विश्वनाथ मंदिर पुलिस चौकी के पास चेंजिंग रूम बनाया जाएगा। साथ ही साड़ियों को रखा जाएगा। मंदिर परिसर के काउंटर के पास भी साड़ियों की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा जो भारतीय श्रद्धालु आरती के दौरान हाफ पैंट पहनकर पहुंच जाते हैं, उन पर भी रोक लग सकती है। साथ ही जो भक्त बेल्ट लगाकर दर्शन करने के लिए जाते हैं, उन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
क्‍या कहना विदेशी महिलाओं का
काशी घूमने आईं अमेरिकी महिला पर्यटक लाइंस मूरी ने बताया कि भारतीय संस्कृति का प्रमुख परिधान साड़ी है। अगर इसे हमारे लिए लागू किया जा रहा है, तो यह एक अच्छी पहल है। वहीं, अमेरि‍का से आईं ब्रूनी मिल्स ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर की पहचान पूरे विश्व में है। विदेशी महिलाओं पर ड्रेस कोड लागू करना उचित है, क्योंकि हर देश की संस्कृति अलग है। मंदिर में कम कपड़े पहनकर जाने से भारतीय महिलाएं शर्माती हैं। अब विदेशी महिलाएं भी साड़ी पहनेंगी तो अलग पहचान बनेगी। जर्मनी की स्टेविया की मानें तो यह पहल अच्छी है, लेकिन जिला प्रशासन को चेंजिंग रूम के पास खास नजर रखनी होगी ताकि कोई बदसलूकी न होने पाए।

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