अब्बास जैसा भाई दुनिया में कोई दूसरा नहींः मौलाना डा. कल्बे
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अंजुमनों ने किया नौहा-मातम, निकला अलम व तुरबत का जुलूस
जौनपुर। 17 सफर का कदीम अलम का जुलूस मीरमस्त स्थित मो. मेंहदी के इमामबाड़े से निकला जो नवाब युसूफ रोड, उर्दू बाजार होते हुये कंचन बीबी के इमामबाड़े में पहुंचकर समाप्त हो गया। इससे पहले मजलिस की शुरूआत मो. मुस्लिम के हमनवा ने सोजखानी करके किया जहां पेशखानी नजमी, मेंहदी, शिराजी ने किया। इस मौके पर ग्वालियर से आये मौलाना डा. कल्बे रजा ने कहा कि कर्बला में हजरत इमाम हुसैन के छोटे भाई हजरत अब्बास अलमदार ने हमेशा अपने मौला हुसैन के आगे सर झुकाये रखा और जो भी मौला का हुक्म होता था, उसे वे पूरा करते थे। हजरत अब्बास ने अपनी 4 साल की भतीजी जनाबे सकीना की प्यास बुझाने के लिये नहरे फरात पर कब्जा करने के बाद भी अपनी प्यास नहीं बुझायी और भतीजी को पानी पिलाने के लिये जैसे ही रवाना हुये, यजीदियों ने उन्हें शहीद कर दिया। पूरी दुनिया में हजरत अब्बास जैसा भाई कोई पैदा नहीं हुआ। यही वजह है कि आज उनका अलम निकालकर उन्हें नजराने अकीदत पेश कर रहे हैं। इसके बाद शबीहे अलम का जुलस निकला जिसमें अंजुमन हुसैनिया, कौसरिया, सज्जादिया, जाफरिया, जाफरी, हैदरी, शम्मे हुसैनी सहित अन्य अंजुमनों ने नौहा-मातम करते हुये जुलूस को लेकर मीरमस्त, नवाब यूसुफ रोड होते हुये कंचन बीबी के इमामबाड़े पहुंचा। यहां मौलाना ने तकरीर किया जिसके बाद शबीहे तुरबत को निकालकर अलम मुबारक से मिलाया गया। जुलूस में मो. मेंहदी, मौलाना सै. नेसार मेंहदी, जरगाम हैदर, ताबिश, मीसम, अजमी, मालिक, पूर्व सभासद शाहिद मेंहदी, डा. इंजेजार मेंहदी, मीसम अली के अलावा सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम लोग मौजूद रहे।
जौनपुर। 17 सफर का कदीम अलम का जुलूस मीरमस्त स्थित मो. मेंहदी के इमामबाड़े से निकला जो नवाब युसूफ रोड, उर्दू बाजार होते हुये कंचन बीबी के इमामबाड़े में पहुंचकर समाप्त हो गया। इससे पहले मजलिस की शुरूआत मो. मुस्लिम के हमनवा ने सोजखानी करके किया जहां पेशखानी नजमी, मेंहदी, शिराजी ने किया। इस मौके पर ग्वालियर से आये मौलाना डा. कल्बे रजा ने कहा कि कर्बला में हजरत इमाम हुसैन के छोटे भाई हजरत अब्बास अलमदार ने हमेशा अपने मौला हुसैन के आगे सर झुकाये रखा और जो भी मौला का हुक्म होता था, उसे वे पूरा करते थे। हजरत अब्बास ने अपनी 4 साल की भतीजी जनाबे सकीना की प्यास बुझाने के लिये नहरे फरात पर कब्जा करने के बाद भी अपनी प्यास नहीं बुझायी और भतीजी को पानी पिलाने के लिये जैसे ही रवाना हुये, यजीदियों ने उन्हें शहीद कर दिया। पूरी दुनिया में हजरत अब्बास जैसा भाई कोई पैदा नहीं हुआ। यही वजह है कि आज उनका अलम निकालकर उन्हें नजराने अकीदत पेश कर रहे हैं। इसके बाद शबीहे अलम का जुलस निकला जिसमें अंजुमन हुसैनिया, कौसरिया, सज्जादिया, जाफरिया, जाफरी, हैदरी, शम्मे हुसैनी सहित अन्य अंजुमनों ने नौहा-मातम करते हुये जुलूस को लेकर मीरमस्त, नवाब यूसुफ रोड होते हुये कंचन बीबी के इमामबाड़े पहुंचा। यहां मौलाना ने तकरीर किया जिसके बाद शबीहे तुरबत को निकालकर अलम मुबारक से मिलाया गया। जुलूस में मो. मेंहदी, मौलाना सै. नेसार मेंहदी, जरगाम हैदर, ताबिश, मीसम, अजमी, मालिक, पूर्व सभासद शाहिद मेंहदी, डा. इंजेजार मेंहदी, मीसम अली के अलावा सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम लोग मौजूद रहे।