खुद की जिंदगी में अंधेरा, लेकिन दूसरों के घरों को रोशन कर रहे हैं ये स्पेशल बच्चे

 वाराणसी. एक तरफ जहां पूरे देश में दीपावली की तैयारियां जोरों पर हैं तो वहीं दूसरी ओर शिव की नगरी काशी में ब्लाइंड और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों ने दूसरों की जिंदगी को रोशन करने का बीड़ा उठाया है। ये बच्चे खुद के जीवन में अंधेरा होते हुए भी मोमबत्ती और दीये बनाकर दूसरे के घर में रोशनी फैला रहे हैं और मिसाल पेश कर रहे हैं।
जीवन ज्योति स्कूल के प्रिंसिपल सुशील कुमार ने बताया कि यहां कई बच्चे मेंटली रिटायर्ड, हियरिंग इम्पेयर्ड और फिजिकली हैंडीकैप्ड हैं। इन बच्चों को मोमबत्ती और दीये बनाना सिखाया गया है। साथ ही आत्मनिर्भर बनाने के लिए बच्चों को कुर्सियां बीनना और गुड़िया बनाना भी सिखाया जाता है। जो बच्चे रंगों की पहचान नहीं कर सकते, वो मेहनत और लगन से आकर्षक और खूबसूरत मोमबत्तियां बना रहे हैं।

क्या कहते हैं स्पेशल बच्चे
ब्लाइंड स्टूडेंट पूजा ने कहा, 'दीपावली खुशियों और रोशनी का त्योहार है। जो लोग दुनिया को अपनी आंखों से देख सकते हैं, वो यह पर्व जरूर मनाते हैं। हम रंग-बिरंगी लाइटों को तो नहीं देख सकते, लेकिन हमारी बनाई गई मोमबत्तियां और दीये दूसरों की जिंदगी में रोशनी जरूर फैला रहे हैं।' वहीं, संगीता कहती है कि वह रंगों को तो नहीं देख सकती, लेकिन अनुभव से मिट्टी के दीयों पर रंग लगाती हैं। जब लोग उनकी बनाई हुई मोमबत्ती और दीयों को जलाते हैं तो उन्हें रोशनी महसूस होती है।
कमजोर होने के बावजूद आसानी से करते हैं काम
फिजिकली हैंडीकैप्ड छात्र सोनू ने बताया कि उसका पैर खराब है और चीजों को समझने में भी काफी दिक्कत होती है। हालांकि, स्कूल की तरफ से उसे काफी मदद मिली है। इसी वजह से आज वह कुर्सी बीनना और मोमबत्ती बनाना सीख गया है। वहीं, पारुल ने बताया कि ब्लाइंड होने के बावजूद वह सामान बनाने से लेकर उसकी पैकिंग तक करते हैं। पहले इस काम को करने में काफी दिक्कत होती थी, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ सीख गए।

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