करिये माँ शीतला चौकिया के दर्शन , पढ़िए मंदिर का इतिहास
https://www.shirazehind.com/2015/12/blog-post_2.html
पूर्वाचंल के लोगो का मुख्य आस्था का केद्र माॅं शीतला चौकियां धाम का कही
कोई ठोस प्रमाण या इतिहास नही मिलता। इतिहासकारों ने मंदिर की बनावट और
तालाब के अधार पर आदेशा जताते हुए लिखा हैं कि यह मंदिर काफी प्राचीन हैं।
शिव और शक्ति की उपासना प्राचीन भारत के समय से चली आ रही हैं। इसी अधार पर
माना जाता हैं कि हिन्दू राजाओं के काल में जौनपुर का अहीर शासकों के हाथ
में था।
जौनपुर का पहला शासक हीराचंद्र यादव माना जाता हैं। माना जाता हैं कि चौकियां देवी का मंदिर कुल देवी के रूप में यादव या भरो द्वारा निर्मित कराया गया लेकिन भरों की प्रवृत्ति को देखते हुए लगता हैं इस मंदिर के निर्माण भरो ने ही कराया होगा। भर अनार्य थे। अनार्यो में शक्ति और शिव पूंजा होती थी। जौनपुर में भरो का अधिपत्य भी था। पहले इस मंदिर की स्थापना चबूतरे पर की गयी होगी, संभवतः इसी कारण से इन्हे चौकियां देवी कहा जाता हैं। शीतलता और आनन्दायनी की प्रतीक मानी जाती हैं। इसी लिए इनका नाम शीतला पड़ा। ऐतिहासिक प्रमाण इस बात के गवाह है कि भरों तालाब बनवाने की प्रवृत्ति थी इस लिए उन्होने शीतला मंदिर के पास तलाब का भी निर्माण कराया गया। इस दरबार में सोमवार और शुक्रवार को तथा नवरात्री में दिन भर श्रध्दालु मत्था टेकते हैं।
जौनपुर का पहला शासक हीराचंद्र यादव माना जाता हैं। माना जाता हैं कि चौकियां देवी का मंदिर कुल देवी के रूप में यादव या भरो द्वारा निर्मित कराया गया लेकिन भरों की प्रवृत्ति को देखते हुए लगता हैं इस मंदिर के निर्माण भरो ने ही कराया होगा। भर अनार्य थे। अनार्यो में शक्ति और शिव पूंजा होती थी। जौनपुर में भरो का अधिपत्य भी था। पहले इस मंदिर की स्थापना चबूतरे पर की गयी होगी, संभवतः इसी कारण से इन्हे चौकियां देवी कहा जाता हैं। शीतलता और आनन्दायनी की प्रतीक मानी जाती हैं। इसी लिए इनका नाम शीतला पड़ा। ऐतिहासिक प्रमाण इस बात के गवाह है कि भरों तालाब बनवाने की प्रवृत्ति थी इस लिए उन्होने शीतला मंदिर के पास तलाब का भी निर्माण कराया गया। इस दरबार में सोमवार और शुक्रवार को तथा नवरात्री में दिन भर श्रध्दालु मत्था टेकते हैं।