विकलांग जन को समाज में सामता का अधिकार मिले : न्यायाधीश
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जौनपुर। आज कलेक्ट्रेट सभागार में विश्व विकलांग दिवस के
अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जौनपुर के तत्वावधान में जनपद न्यायाधीश
लुकमानुल हक के निर्देशन में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की
अध्यक्षता करते पारिवारिक न्यायाधीश राधेश्याम यादव ने कहा कि विकलांग जन
को समाज में सामता का अधिकार मिले,उनकी उपेक्षा नही होनी चाहिए। लोगों को
ऐसी सोच पैदा करनी चाहिए जिससे विकलांग जन को कोई पीड़ा न हो। उनकी
अन्तरात्मां की पीड़ा को महसूस करना चाहिए। इसी क्रम में न्यायिक अधिकारीगण
धनन्जय कुमार मिश्रा एवं मयंक जायसवाल ने कहा कि विकलांग शब्द की जगह
शारीरिक रूप से अक्षम र्व्यिक्त कहा जाना उचित है। उन्होंने यह भी बताया कि
ऐसे व्यक्तियों को समाज से हरप्रकार की सहायता, संेदना मिलनी चाहिए। दृढ़
इच्छाशक्ति के माध्यम से विकलांग व्यक्ति कुछ भी प्राप्त कर सकता है। इसके
अलावा गोष्ठी को विकलांग जन कल्याण अधिकारी राजेश कुमार सोनकर ने विकलाग जन
विकास विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी।
गोष्ठी को जिला समन्वयक मंजू पासवान, एस0पी0सिटी रामजी सिंह यादव और
दमयन्ती सिंह ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ0 दिलीप
कुमार सिंह संधिकर्ता अधिकारी ने अरूणिमा श्रीवास्तव, स्टेफेनहाकिन्स और
अस्टावक्र का उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह विकलांगता का अभिशाप वरदान
में बदल सकता है। उन्होंने भयावह भोपाल गैस त्रास्दी का जिक्र करते हुए
बताया कि किस तरह आज के दिन ही हजारों लोग मारे गये और लाखों लोग विकलांग
हो गये। आभार व्यक्त करते हुए सिविल जज/सचिव प्राधिकरण ने बताया कि विकलांग
व्यक्तियों के सम्बन्ध में प्राप्त सुझाावों को वे उच्च स्तर तक पहुंचाकर
शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों की हरसम्भव मदद करेगे। इस गोष्ठी में
प्रशासननिक अधिकारीगण ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी शिवप्रसाद, कर्मचारीगण रामजी
मौर्या, रामकृष्ण त्रिपाठी, दयाशंकर, राजेश कुमार, पद्मा सिंह, कृपाशंकर
सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।