शासन-प्रशासन की हेरा-फेरी में नही पूरा हुआ नौकरी देने का वादा

सतहरिया। शुरूवाती दौड़ में 509 एकड़ जमीन सतहरिया गा्रमवासियों की यू0पी0 साई डी सी द्वारा अधिग्रहित की गई थी जिस पर औद्यौगिक क्षेत्र का शिलान्यास 28 जून 1989 में युवाओं की धड़कन प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गाँधी ने किया था। सन् 1952 देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं0 जवाहर नेहरू का संसदीय क्षेत्र फूलपुर के आने का कारण इसका महत्व स्वमेव बढ़ जाता है किसानों की जमीन अधिग्रहित के दौरान तत्कालीन डी0एम0 नेतराम ने वादा किया था कि उनके एक परिवार के लोगों को नौकरी तथा सतहरिया ग्रामसभा के लोगों को घरेलू दर पर विद्युत उपलब्ध कराया जाएगा। किन्तु शासन-प्रशासन की हेरी फेरी भी उक्त वादा नही पूरा हो सका जो आज भी गा्रमवासियों के लिए जख्म बना है। सुविधाएं औद्यौगिक क्षेत्र के विकास में मूलभूत आवश्यकता मानी जाती है। सन् 1995 के पहले यहाँ पर सेलटैक्स की छूट व अनुदान की व्यवस्था थी जो अब समाप्त हो गयी है। जो बड़े-बड़े फैक्ट्रीयों के आगमन में आकर्षण था। 16 जून 1997 के पहले या क्षेत्र उत्तर प्रदेश राज्य औद्यौगिक विकास द्वारा देखा जा रहा था। उसने आवागमन के लिए यहाँ एक बस अड्डा बनवाया था। जिसे वह निःशुल्क सीडा को दे दिया था जिसे तत्कालीन सीडा प्रबन्धक ने बेच दिया था। उसकी कमी आज भी लोगों को खटक रहा हैै हाइबे सड़क के निर्माण के दौरान जो जौनुपर मार्ग मेन रोड़ पर लगे विद्युत खम्भा उखाड़ दिया गया था। उसे पुनः गाड़कर सोडियम लाइट लगा दिया गया है जो रात में जलने के न कारण से शोपीस बन गया है। सैकड़ों फैक्ट्री एक लम्बे अर्से से आवंटन अभाव में बन्द पड़े है अगर कहा जाय बसन्त नही पतझड़ की तर्ज पर हो रहा है। विकास तो अतिशयोक्ति नही होगा। 

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