डॉ 0 सुभाष सिंह ने किया तीन साल में 100 घुटना प्रत्यारोपण
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जौनपुर। छोटे शहरों और गाँवों में रहने वालों के लिए यह खुशखबरी है। जनपद तथा आस पास के जिलों से आये घुटना के मरीजों का सफल प्रत्यारोपण पार्थ हास्पिटल में हो रहा है । बीते तीन साल में ऐसे 100 मरीजो का प्रत्यारोपण किया गया। आज वे बिना दर्द के अपने पैरों पर चल रहे है। यह जानकारी सोमवार को आर्थोपेडिक सर्जन डॉ० सुभाष सिंह ने प्रेसवार्ता में दी उन्होंने बताया कि इस सफलता में पार्थ हास्पिटल की पूरी टीम एवं डॉ०आदित्य निगम ( एम० एस० आर्थो )का पूरा सहयोग रहता है। एक सवाल के जवाब में डॉ० सिंह ने बताया कि आमतौर पर घुटनों के जोड़ों में दर्द तब होता है जब हड्डी बढ़ जाती है। इसके बाद दो हड्डियों के रगड़ खाने से दर्द असहनीय होता है। प्रत्यारोपण में दोनों हड्डियों को आपरेशन के जरिये बराबर कर दिया जाता है। इसके बाद कृतिम घुटना लगाकर उन्हें दर्द से ही मुक्ति नहीं बल्कि चलने फिरने लायक बना दिया जाता है। बीते तीन साल में ऐसे एक सौ मरीजों को उनके पैर पर खडा किया गया। इसका श्रेय हमारी पूरी टीम को जाता है।
डॉ० सुभाष ने कहा कि अपने क्षेत्र में ऐसे तमाम मरीज हैं जो मुश्किल से एक लाख भी खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में वह मेट्रो सिटी में जाकर घुटना प्रत्यारोपण कराने में तीन लाख एवं अन्य खर्च कैसे वहन करेंगें। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए पार्थ अस्पताल प्रबंधन ने शानदार आपरेशन थियेटर तैयार कर घुटना प्रत्यारोपण की टीम ने तीन साल पूर्व यह इलाज शुरू किया। तब मरीजों और उनके तीमारदारों को लगभग एक लाख खर्च करके बेहतर इलाज संभव हुआ। डॉ० सुभाष ने बताया कि घुटना प्रत्यारोपण के लिए बनी टीम को प्रशिक्षण दिलाया गया। अब सौ मरीजों को अपने पैर पर चलते देख खुद मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। उन्होंने तकनीकी जानकारी देते हुए बताया कि जोड़ के अंदर साइनोवियल पदार्थ सूख जाता है जिससे घुटने की हड्डियाँ आपस में रगड़ खाकर घिसने लगती है। यही दर्द का मुख्य कारण होता है। डॉ० सिंह ने बताया कि लीलावती सिंह ग्रा० जमापुर (भाऊपुर ) जौनपुर 55 वर्ष की हैं यह सौंवीं मरीज है जिनका घुटना दो दिन पूर्व प्रत्यारोपित किया गया। वह आपरेशन के दूसरे दिन से अपने पैर पर चलने लगीं और सारी नित्यक्रिया खुद करने में सक्षम हैं।
डॉ० सुभाष ने कहा कि अपने क्षेत्र में ऐसे तमाम मरीज हैं जो मुश्किल से एक लाख भी खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में वह मेट्रो सिटी में जाकर घुटना प्रत्यारोपण कराने में तीन लाख एवं अन्य खर्च कैसे वहन करेंगें। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए पार्थ अस्पताल प्रबंधन ने शानदार आपरेशन थियेटर तैयार कर घुटना प्रत्यारोपण की टीम ने तीन साल पूर्व यह इलाज शुरू किया। तब मरीजों और उनके तीमारदारों को लगभग एक लाख खर्च करके बेहतर इलाज संभव हुआ। डॉ० सुभाष ने बताया कि घुटना प्रत्यारोपण के लिए बनी टीम को प्रशिक्षण दिलाया गया। अब सौ मरीजों को अपने पैर पर चलते देख खुद मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। उन्होंने तकनीकी जानकारी देते हुए बताया कि जोड़ के अंदर साइनोवियल पदार्थ सूख जाता है जिससे घुटने की हड्डियाँ आपस में रगड़ खाकर घिसने लगती है। यही दर्द का मुख्य कारण होता है। डॉ० सिंह ने बताया कि लीलावती सिंह ग्रा० जमापुर (भाऊपुर ) जौनपुर 55 वर्ष की हैं यह सौंवीं मरीज है जिनका घुटना दो दिन पूर्व प्रत्यारोपित किया गया। वह आपरेशन के दूसरे दिन से अपने पैर पर चलने लगीं और सारी नित्यक्रिया खुद करने में सक्षम हैं।