खाली खजाने से विश्व रिकार्ड बनाने का सपना देख रही है यूपी सरकार
https://www.shirazehind.com/2016/05/blog-post_754.html
जौनपुर। ग्रीन यूपी क्लिन यूपी योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार एक दिन में पांच करोड़ पेड़ लगाकर विश्व रिकार्ड बनाने का सपना सजोए हुए है। इस रिकार्ड को बनाने के लिए विभागीय अधिकारी कर्मचारी माथा पच्ची करना शुरू कर दिया है। हैरत की बात यह है कि इस रिकार्ड को बनाने के लिए शासन ने कोई बजट नही दिया है। जिसके कारण वन विभाग के अधिकारियो कर्मचारियों में काफी मायूसी देखी जा रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार जुलाई माह में पूरे प्रदेश में एक दिन में पांच करोड़ पौधे लगाकर विश्व रिकार्ड बनाने का फैसला लिया है। इस कार्यक्रम तहत जौनपुर में भी एक दिन में पांच लाख पौधा लगाने का खाका तैयार कर लिया गया है। इस कार्यक्रम की ब्लू पिंट तैयार करने और उस पर अमली जामा पहनाने के लिए मुख्य वन संरक्षक नियोजन लखनऊ अमर कुमार आज जौनपुर पहुंचकर अधिकारियों कर्मचारियों के साथ बैठक किया। उन्होने तमाम आवश्यक दिशा निर्देश देने के साथ यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस कार्यक्रम के लिए अभी कोई अलग से बजट नही आया है। जिसके कारण आप लोगो को अपने स्तर से ही इस योजना को पूरा करना होगा। हलांकि उन्होने यह भी कहा कि अभी दो माह शेष है हो सकता इस बीच सरकार बजट उपलब्ध भी करा दे। मुख्य वन संरक्षक नियोजन ने यह भी बताया कि पेड़ लगाने के लिये खोदे जा रहे गढ्ढे पेड़ लगाते समय उसके बाद सिचाई करते समय की वीडियो ग्राफी और फोटो ग्राफी कराकर मुख्यालय भेजना होगा। लेकिन इसका पैसा नही मिलेगा।
अधिकारियों ने कहा कि सर फिर कैसे वीडियों और फोटो ग्राफी करायी जायेगी तो साहब का जवाब रहा कि स्मार्ट फोन का इस्तेमाल किजिये।
नर्सरी से बृक्षारोपण स्थल तक पेड़ ले जाने का भाड़ा और मजदूरो को दोपहर का भोजन पानी का इंतजाम भी इन्ही अधिकारियों कर्मचारियों के कंधे पर छोड़ा गया है रही बात मजदूरो के मजदूरी देने की बात वह मनरेगा से उसी दिन शाम तक भुगतान कर दिया जायेगा। मजदूरो के अलावा इस अभियान को सफल बनाने के लिए स्कूल के छात्र-छात्राओं प्रबंधक और प्रिंसपल से सहयोग लेने की बात मुख्य वन संरक्षक नियोजन ने कही।
सबसे महत्व पूर्ण बात यह कि जो पौधे लगाये जायेगे उनकी लम्बाई करीब आठ फीट से लेकर नौ फीट तक होनी चाहिए। लेकिन विभाग की नर्सरियों में मात्र एक वर्ष के पौधे ही जिनकी लम्बाई मात्र तीन फीट के आसपास है। अगर पेड़ को खरीदना पड़ा तो उसका खर्च भी इन्ही सरकारी मुलाजिमों के कंधे पर पड़ेगा।
फिलहाल क्षेत्रिय वन अधिकारी डीएन दुबे ने मुख्य वन संरक्षक नियोजन को अश्वस्त किया कि यदि मुझे एक भी पैसा नही तो भी हम अपने स्तर से इस योजना का सफल बनाने के लिए पूरी ताकत लगा देगें।