मानवीय गुणों को अपनाने की जरूरत
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जौनपुर । गुरूओं-पीरों ने युगों-युगों से मानव को जीवन जीने के लिए सही दिशा प्रदान करके इसका रूतबा ऊॅचा किया है और ईष्र्या, नफरत, बैर, विरोध को मिटाकर प्यार , नम्रता, करूणा, दया आदि मानवीय गुणों को अपनाने की शिक्षा दी है जिससे की धरती पर एक सुन्दर नजारा कायम हो सके। उक्त बातें संत निरंकारी सत्संग भवन, मडियाहूं सत्संग भवन व मियांचक के सत्संग भवन के प्रांगण में निरंकारियों को सम्बोधित करते हुए दिल्ली से आये केन्द्रीय प्रचारक पण्डित अब्दुल गफ्फार खान ने व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि संसार में जहां खुदगर्जिया और संकीर्णतायें प्रबल है वही यहा सन्तों के सत्संग में प्रेम की सुगन्ध धारा प्रवाहित हो रही है। क्योकि यहां प्रभु-प्रेमी प्रभु के बन्दो से प्रेम करके प्रेम को प्रकट कर रहे है। ऐसा ही दिव्य नजारा संसार में देखने को मिले उन्होंने । कहा कि इन्सान के हृदय में दूसरे के प्रति सद्भाव नही है तो वह इन्सान कहलाने का हकदार नहीं है। इन्सान अपनी फितरत से धरती के वातावरण को घुटन वाला बना रहा है और मानव जाति को भी कलंकित कर रहा है। जबकि सन्तो-महापुरूषों ने हर युग और हर दौर में इन्सान को यही सन्देश दिया है कि अन्धकार से निकलकर उजाले में स्थित हो जाये, फूलोे को एक क्यारी में देखा जा सकता है। परन्तु इन्सानों में यह विशेषता नहीं है। इन्सान तमाम प्रकार के आधारो पर दूरिया पैदा करके वैर-विरोध किये जा रहा है खूबसूरती बढ़ाने का एक ही साधन है कि इन्सान किसी भी धर्म या पैगम्बर के प्रति आस्था रखते हो प्यार से रहना सीख जाए। मुख्य वक्ता ज्वाला प्रसाद वर्मा ,रमाशंकर , शैलेन्द्र ,राजेन्द्र कश्यप , रजनीश , बांकेलाल रहे। संचालन ने किया।