प्रकृति से प्रेम का संदेश वाहक नागपंचमी
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जौनपुर। जिले में नागपंचमी का त्योंहार रविवार को आस्था एवं विश्वास के साथ मनाया जागेया। हिन्दू धर्म के आस्थावान लोगो ने इस पर्व पर नाग देवता का विधिवत पूजन कर दूध और धान का लावा चढ़ाया जाता है। जगह-जगह संपेरो ने नाग देवता का दर्शन दर्शन कराने के साथ ही विभिन्न स्थानो पर मेलो का आयोजन किया जाता है जहां कुश्ती दंगल तथा बिरहा और कबड्डी का रौचक मुकाबला होता है। पर्व की पूर्व सन्ध्या पर बाजारों में नाग देवता के चित्र और धान का लावा खरीदने के लिए दुकानों पर भीड़ लगी रही। ज्ञात हो कि भारतीय संस्कृति में पशु पक्षी, वृक्ष बनस्पति सबके साथ आत्मीय संबन्ध जोड़ने का प्रयास किया गया है। इसमें सांप का महत्वपूर्ण स्थान होता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी मनायी जाती है। सांप खेतो का रक्षण करता है। इसलिए उसे जीव जन्तु चूहे आदि जो फसल को नुकसान करने वाले तत्व हैं उनका नाश करके सांप खेतो का हराभरा रखता है। सांप अकारण किसी को नहीं काटता उसे परेशान करने वाले या छेड़ने वाले को ही डंसता है। वर्षो के परिश्रम से संचित शक्ति यानी जहर वह किसी को यू ही काटकर बर्बाद नहीं करना चाहता। हम भी जीवन में यदि तप करके कुछ शक्ति पैदा करे तो उसे किसी पर गुस्सा करके या निर्बलो को परेशान करने में खर्च नहीं करना चाहेगें। दरअसल नाग पंचमी का पर्व नाग पूजा को समर्पित है। धार्मिक दृष्टि से नाग भगवान शिव का आभूषण है। इस पर्व का संदेश है कि नाग जाति की उत्पत्ति मानव को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं हुई है। खास तौर से बारिश के मौसम में इन्सान व नाग का आमना सामना होता है आत्मरक्षा के लिए एक दूसरे पर आक्रमण करते हैं। नाग का डंसा जाना इन्सान के लिए घातक साबित होता है। नाग पंचमी का उत्सव, नाग पूजा द्वारा सुख शान्ति और खुशहाली का माना जाता है। व्यावहारिक रूप से यह जीव दया और प्रकृति से प्रेम का संदेश देता है। इस पवित्र परंपरा का सिलसिला युगों से चला आ रहा है। इसी परंपरा के तहत नाग को दूध पिलाया जाता है।