आज तक नही मिला शहीद संजय सिंह के परिजनो को प्रदेश सरकार की आर्थिक सहायता
https://www.shirazehind.com/2016/09/blog-post_138.html
जौनपुर। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सोमवार को कश्मीर में आतंकवादी हमले में शहीद हुए यूपी के तीन शहीदो के परिजनो को 20-20 लाख रूपये का चेक प्रदान करने के साथ अपना शोक सवेदना प्रकट करने जा रहे है। शहीदो के सम्मान में सीएम का यह कार्यक्रम काबिले तारीफ है। शिराज ए हिन्द डाॅट काम अखिलेश यादव का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए उन्हे याद दिलाना चाहता है कि बीते 25 जून को पाम्पोर जिले में आतंकवादी हमले में आठ सीआरपीएफ के जवान शहीद हुए थे उसमें जौनपुर के संजय सिंह की शहादत हुई थी। मुख्यमंत्री ने संजय के पत्नी को 20 लाख रूपये देने का एलान किया था लेकिन आज तक यह सहायता राशि नही मिल पायी है।
जम्मू-कश्मीर के पम्पोर जिले में बीते 25 जून को काबिगं करते समय सेना के एक वाहन पर आतंकवादियों ने बम से हमला किया था। इस वारदात में जौनपुर जिले के केराकत थाना क्षेत्र भौरा गांव के निवासी संजय सिंह समेत आठ जवान शहीद हो गये थे। संजय का पार्थिक शरीर 27 जून की भोर में आया था। उनको अंतिम विदाई देने के लिए पूरा इलाका उमड़ पड़ा था लेकिन सत्ता पक्ष का कोई नेता मंत्री विधायक शहीद को कंधा देने नही पहुंचा। जबकि उसी दिन शाम को कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव के द्वारा दी गयी रोजा इफ्तार पार्टी में सभी दिग्गज नेता दावत उड़ाने पहुंचे थे। दूसरे दिन बदलापुर के विधायक बाबा दुबे शहीद के घर पहुंचकर शोक सवेदना प्रकट किया था और अपने पास से पांच लाख रूपये की आर्थिक सहायता दिया था। मुख्यमंत्री ने शहीद संजय सिंह के पत्नी नीतू सिंह को 20 लाख रूपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया गया था। आज तक वह सहायता उनकी पत्नी को नही मिल पायी है।
नीतू सिंह ने शिराज ए हिन्द डाॅट काम से बातचीत करते हुए अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि मेरे लिए मेरे पति ही सब कुछ थे। उन्होने देश की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान किया है। अब हम और मेरे दो बच्चे अनाथ हो गये है। ऐसी स्थिति में केन्द्र और प्रदेश सरकार को मेरी सहायता करनी चाहिए। यहां उल्टा हो रहा है जिस दिन मेरे पति शहीद हुए थे उस दिन पूरा देश उनके सम्मान में खड़ा दिखा था। मुख्यमंत्री ने अपनी शोक संवेदना प्रकट करते हुए 20 लाख रूपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा किया था। लेकिन आज तक वह सहायता नही मिल पायी है। उन्होने केन्द्र और प्रदेश सरकार से मांग किया है कि मुझे नौकरी दी जाय और मेरे पति का सपना था कि वह एमबीए की पढ़ाई करे। इस लिए दोनो सरकारे मेरे बेटी का दाखिला किसी अच्छे स्कूल में कराये।
बेटी नेहा ने शिराज ए हिन्द डाॅट काम से बातचीत करते हुए अपना दर्द बयां किया। उसने सरकार से केवल अपनी पढ़ाई आगे जारी कराने की मांग रखी हैं उसने कहा कि मेरे पापा का सपना था कि मैं एमबीए की पढ़ाई करू।
जम्मू-कश्मीर के पम्पोर जिले में बीते 25 जून को काबिगं करते समय सेना के एक वाहन पर आतंकवादियों ने बम से हमला किया था। इस वारदात में जौनपुर जिले के केराकत थाना क्षेत्र भौरा गांव के निवासी संजय सिंह समेत आठ जवान शहीद हो गये थे। संजय का पार्थिक शरीर 27 जून की भोर में आया था। उनको अंतिम विदाई देने के लिए पूरा इलाका उमड़ पड़ा था लेकिन सत्ता पक्ष का कोई नेता मंत्री विधायक शहीद को कंधा देने नही पहुंचा। जबकि उसी दिन शाम को कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव के द्वारा दी गयी रोजा इफ्तार पार्टी में सभी दिग्गज नेता दावत उड़ाने पहुंचे थे। दूसरे दिन बदलापुर के विधायक बाबा दुबे शहीद के घर पहुंचकर शोक सवेदना प्रकट किया था और अपने पास से पांच लाख रूपये की आर्थिक सहायता दिया था। मुख्यमंत्री ने शहीद संजय सिंह के पत्नी नीतू सिंह को 20 लाख रूपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया गया था। आज तक वह सहायता उनकी पत्नी को नही मिल पायी है।
नीतू सिंह ने शिराज ए हिन्द डाॅट काम से बातचीत करते हुए अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि मेरे लिए मेरे पति ही सब कुछ थे। उन्होने देश की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान किया है। अब हम और मेरे दो बच्चे अनाथ हो गये है। ऐसी स्थिति में केन्द्र और प्रदेश सरकार को मेरी सहायता करनी चाहिए। यहां उल्टा हो रहा है जिस दिन मेरे पति शहीद हुए थे उस दिन पूरा देश उनके सम्मान में खड़ा दिखा था। मुख्यमंत्री ने अपनी शोक संवेदना प्रकट करते हुए 20 लाख रूपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा किया था। लेकिन आज तक वह सहायता नही मिल पायी है। उन्होने केन्द्र और प्रदेश सरकार से मांग किया है कि मुझे नौकरी दी जाय और मेरे पति का सपना था कि वह एमबीए की पढ़ाई करे। इस लिए दोनो सरकारे मेरे बेटी का दाखिला किसी अच्छे स्कूल में कराये।
बेटी नेहा ने शिराज ए हिन्द डाॅट काम से बातचीत करते हुए अपना दर्द बयां किया। उसने सरकार से केवल अपनी पढ़ाई आगे जारी कराने की मांग रखी हैं उसने कहा कि मेरे पापा का सपना था कि मैं एमबीए की पढ़ाई करू।