मां कूष्माण्डा के दरबार में गूंजा जयकारा

जौनपुर। शारदीय नवरात्रि में दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्माण्डा का विधिवत पूजन दर्शन मंगलवार को किया गया। प्रमुख शक्ति पीठों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। पूजा पण्डालों में भी मां के दरबार में हाजिरी लगाने वालों की कतारें लगी रहीं। जहां जगदम्बे मां के जयकारे गूंज रहे हैं। शहर से लेकर ग्रामीणांचलों तक पूजा पण्डाल में सुबह शाम आरती में जहां नर नारियों की भीड़ उमड़ रही है वही देर रात तक मां की मनोहारी छवि निहारने के लिए लोग पहुंच रहे है। पण्डालों को अनेक प्रकार के उपकरणों और अन्य सामानों से सजाया गया है। इस समय पूरा जनपद दुर्गामय हो गया है। बिजली कटौती से दुर्गा पूजा में अव्यवस्था फैल रही है। पूजन समितयों में रोष बढ़ता जा रहा है। यदि यही हाल रहा तो शान्ति पूर्ण पूजन संपन्न होने का अंदेशा नहीं दिखाई दे रहा है। ज्ञातव्य हो कि अपनी मंद और हल्की हंसी द्वारा ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण माता के चैथे रूप को कुष्माण्डा देवी के नाम से अभिहित किया गया है। संस्कृत भाषा में कुष्माण्डा को कुम्हण कहते हैं। बलियों में कुम्हण की बलि इन्हे सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी मां कुष्माण्डा कहलाती है। आज के दिन साधक का मन अदाहत वक्र में  अवस्थित होता है। इस दिन इसे अत्यधिक पवित्र और शान्त मन से कुष्माण्डा देवी को ध्यान मे ंरखकर पूजा उपासना के कार्य में लगना चाहिए। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब इन्ही देवी ने अपने ईशत हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी। यही सृष्टि की आदि स्वरूपा आदि शक्ति हैं। इनका निवास सूर्य मण्डल के लोक में है।

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