इस मंदिर में दर्शन करने से मृत्यु जीवन में बदल जाता है

जौनपुर। शहर के दक्षिणी छोर पर सिटी स्टेशन रेलवे क्रासिंग के निकट मड़ियाहूं पड़ाव पर स्थापित मंदिर में श्री मां आद्याशक्ति दक्षिणा काली की विशाल प्रतिमा अत्यन्त मनोहारी है। मंदिर का कपाट पूजन-अर्चन के बाद भक्तों के लिए खुल जाता है। यहां पर नवरात्र के पहले दिन से ही मां भक्तों की भारी भीड़ पहुंच रही है। श्रद्धालु नारियल, चुनरी व अड़हुल की माला अर्पित कर हाजिरी लगा रहे हैं। 1984 में स्थापित इस मंदिर के संस्थापक व संचालक भगवती सिंह ‘वागीश’ जी का कहना है कि यह स्थलीय काली जी की सनातनी सिद्धपीठ है जो भक्तों के भाग्य का नवसृजन कर देती है। ज्ञान, भक्ति, बैराग्य का संवर्द्धन कर शान्ति, भक्ति, आनन्द, समृद्धि एवं अपार करूणा का विस्तार कर देती है। कलयुग में काली जी की कृपा अपार है। जो व्यक्ति सच्चे दिल से मां के नाम का प्रतिपल स्मरण करता है, उसके भाग्य के कपाट खुल जाते हैं। यह अखिल ब्रह्माण्ड नायिका, परम उदार एवं करूणामयी है।इसके चरणविन्दों में त्रैलोक्य की विपुल शान्ति, शक्ति एवं सम्पदा समाई है। मां की कृपा जब भक्तों पर हो जाती है तो असंभव भी संभव हो जाता है। मृत्यु जीवन में बदल जाता है। किसी भी प्रकार के अभावग्रस्तता नहीं रह जाती है। जीवन प्रशान्त सुखद, आनन्दित हो जाता है। अतः मां जगन्माता आदिशक्ति पराम्बा-कालिका को बारम्बार कोटिशः नमन।
    इस बार शारदीय नवरात्र में 8 अक्टूबर शनिवार को कालिरात्रि का दिन है। इस दिन सप्तमी है। यह दिन मां काली का सर्वशक्ति एवं सौभाग्य प्रदायक है। इस दिन मां का दर्शन, पूजन-अर्चन, स्तवन तथा स्मरण जीवन को ज्योतिर्मय एवं मंगलमय कर देता है। पूर्ण श्रद्धा एवं अटल विश्वास के साथ मां उपासना सदैव कल्याणकारी होती है। अतः कलयुग में काली जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। नवरात्र में दर्शनार्थियों की भीड़ को देखते हुए संतोष श्रीवास्तव एडवोकेट, दलसिंगार विश्वकर्मा, रामपाल विश्वकर्मा, एसपी सिंह जाम, वेद प्रकाश सिंह एडवोकेट, देवेन्द्र सिंह, वंदेश सिंह आदि व्यवस्था में लगे हैं।


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