आयी जहरा की सदां, या हुसैन अलविदा...

जौनपुर। नगर में इमामे हसन असकरी अ.स. की शहादत के मौके पर अय्यामे अजा के आखिरी दिन शुक्रवार को जगह-जगह जुलूस निकाला गया और मजलिसों के बाद शबीहे ताबूत, अलम, जुलजनाह व ऊंटों पर रखी अमारियों का जुलूस निकाला गया। इस मौके पर मोहल्ला ख्वाजा दोस्त पोस्तीखाना में इमामबाड़ा गुलाम अब्बास पर मजलिस हुई। मजलिस के बाद अंजुमन मजलूमिया के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ इनाम अली खां के आवास के पास पहुंचा जहां पर एक तकरीर हुई जिसके बाद अलम, तुर्बत व जुलजनाह बरामद हुआ। जुलूस आगे कदीम रास्तों से होता हुआ सिपाह पहुंचा जहां डा. कमर अब्बास ने तकरीर कर इमामे हसन अश्करी अ.स. के शहादत पर प्रकाश डाला। इस मौके पर डा. हाजी सैय्यद कमर अब्बास ने कहा कि इस्लाम अमन व शंाति का मजहब है। इस मजहब के रहबर को रहमतुल लिल आलमीन कहा जाता है क्योंकि वह पूरे आलम के लिए रहमत बनकर दुनिया में तशरीफ लाए। इसलिए उनके मानने वालों की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह एक दूसरे के लिए जहमत न बने और अम्नों अमान कायम रखें। तकरीर के बाद शबीहे जुलजनाह और ताजिया, अलम बरामद हुआ। जिसमें नगर क ी तमाम अंजुमनों ने नौहा व मातम करते हुए अपने कदीमी रास्ते से होते हुए सिपाह स्थित नबी साहब के रौजे पर पहुंचकर समाप्त हुआ। इसी क्रम में सिपाह मोहल्ला में भी जुलूसे आमारी का आयोजन हुआ। जिसमें अंजुमनों ने नौहा मातम कर करबला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश की। जुलूस अपने कदीम रास्ते से होते हुए नबी साहब इमाम बारगाह पहुंचा जहां ताजिया को सुपूर्दे खाक किया गया।

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