राज्यपाल ने राजभवन से दूरभाष से दिया अपना उद्बोधन
https://www.shirazehind.com/2016/12/blog-post_439.html
मौसम खराबी के चलते उड़ान नहीं भर पाया हेलीकॉप्टर
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विष्वविद्यालय के विज्ञान संकाय द्वारा ‘‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संवर्धन एवं बौद्धिक सम्पदा अधिकार संरक्षण हितार्थ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश की भूमिका’’ वियक गोष्ठी का आयोजन शुक्रवार को फार्मेसी संस्थान के शोध एवं नवाचार केन्द्र में हुआ। संगोष्ठी को दूरभाष से सम्बोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम नाईक ने कहा कि आज साहित्य सृजन एवं शोध में नवाचार की प्रवृŸा बहुधा बाधित हो रही है। शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों से मेरी यही अपेक्षा है कि वे अनुसंधान एवं साहित्य सृजन में मौलिकता तथा नवाचार को सदैव एकीकृत करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति को मई, 2016 में मंजूर किया गया। इसमें समाज के सभी वर्गों में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के आर्थिक-सामाजिक और सांस्कृतिक लाभों के प्रति जागरूकता पैदा करना, बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के सृजन को बढावा देना एवं सेवा आधारित बौद्धिक सम्पदा अधिकार से प्रशासन को आधुनिक और मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि सम्पदा वह है जो किसी व्यक्ति या समूह के पास मौजूद होती है, जिसका वह स्वयं या दूसरा उपयोग करता है तथा दूसरों को हस्तांतरित करने का अधिकार रखता है। बौद्धिक सम्पदा का अधिकार किसी की बौद्धिक उपादेयता एवं संरचना को सुरक्षित रखने का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि समृद्ध एवं शक्तिशाली भारत के निर्माण के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की पहुंच जन-जन में होनी आवश्यक है। भारत की प्रथम विज्ञान नीति, 1958 में जन-जन तक विज्ञान की व्याप्ति को बढ़ाने का आग्रह किया गया। इस देश के युवा तर्क सम्मत हों, विज्ञान सम्मत् हों, जिससे जय जवान, जय किसान एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का जय विज्ञान उद्घोष सर्वत्र विद्यमान रहे। उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि सदियों से जो शक्तियाँ देश में परिवर्तन की सूत्रधार रही हैं, उनका उद्भव शिक्षा संस्थाओं और विश्वविद्यालयों से हुआ है। आज, जबकि हमारा देश क्रान्तिकारी आर्थिक, सामाजिक एवं तकनीकी के परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, यह आवश्यक है कि विश्वविद्यालयों को आगे आकर नई पीढ़ी के मानस पटल को सही दिशा में मोड़ने और उन्हें समाज को इक्कीसवीं सदी में और आगे ले जाने की अगुवाई करने के लिए बौद्धिक रूप से सक्षम बनाने की ऐतिहासिक भूमिका का निर्वाह करना है। अध्यक्षीय उद्बोधन में विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूश रंजन अग्रवाल ने कहा कि षिक्षकों को भी अपने युवा षोधार्थियों से सीखने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा जब षोध के लिए काम षुरू करता है तो उसके अपने विचार होते हैं और अपनी सोच होती है। संभव है यही सोच आगे चलकर एक अच्छा मार्ग प्रषस्त करे। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमें विकसित देषों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। इसके लिए हमें खुद अन्वेशण की तरफ आगे बढ़ना चाहिए। साथ ही बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण के लिए सदैव जागरूक रहना चाहिए। संगोश्ठी में बतौर विशय विषेशज्ञ आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन ने भारतीय पेटेंट एक्ट 1970, कॉपी राइट एक्ट के विभिन्न आयामों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि पेटेंट से हम अपनी खोज को सबके सामने लाते हैं और हमारा अधिकार उस पर रहता है। पष्चिमी देषों की भांति हमारे देष में भी यदि बौद्धिक सम्पदा अधिकार के प्रति जागरूकता बढ़े तो बहुत सारे ज्ञान को हम अपना कह सकेंगे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिशद उत्तर प्रदेष की संयुक्त निदेषक डॉ. षषि राना ने परिशद की कार्यप्रणाली पर विस्तारपूर्वक प्रकाष डाला। उन्होंने कहा कि षोधार्थियों एवं षिक्षकों में बौद्धिक सम्पदा अधिकार के प्रति निरंतर जागरूकता के लिए प्रयास किया जा रहा है। षैक्षिक संस्थानों के साथ ही साथ व्यक्तिगत षोध करने वालों को भी इसकी सुविधा उपलब्ध कराना हमारा उद्देष्य है। उन्होंने पेटेंट कराने की प्रक्रिया को भी बताया। वाणिज्य मंत्रालय नई दिल्ली के सुमित कुमार ने बौद्धिक सम्पदा अधिकारी 2016 पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा आईपीआर पॉलिसी 2016 पारित की गयी हैं जिसमें रचनात्मक भारत की कल्पना है। जिससे आने वाले समय में षोध एवं नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ बौद्धिक सम्पदा का संरक्षण होगा। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. राजेष षर्मा ने किया। स्वागत प्रो. डीडी दूबे एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. बीबी तिवारी द्वारा किया गया। इस अवसर पर वित्त अधिकारी एमके सिंह, कुलसचिव डॉ. देवराज, उप कुलसचिव संजीव सिंह, टीबी सिंह, डॉ. अजय प्रताप सिंह, डॉ. एके श्रीवास्तव, डॉ. मानस पाण्डेय, डॉ. अविनाष पाथर्डीकर, डॉ. मनोज मिश्र, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. एसपी तिवारी, डॉ. वन्दना राय, डॉ. आषुतोश सिंह, डॉ. रजनीष भाश्कर, डॉ. सौरभ पाल, डॉ. संजीव गंगवार, डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. रूष्दा आजमी, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. विवेक पाण्डेय समेत षिक्षक व षोधार्थी उपस्थित रहे।
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विष्वविद्यालय के विज्ञान संकाय द्वारा ‘‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संवर्धन एवं बौद्धिक सम्पदा अधिकार संरक्षण हितार्थ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश की भूमिका’’ वियक गोष्ठी का आयोजन शुक्रवार को फार्मेसी संस्थान के शोध एवं नवाचार केन्द्र में हुआ। संगोष्ठी को दूरभाष से सम्बोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम नाईक ने कहा कि आज साहित्य सृजन एवं शोध में नवाचार की प्रवृŸा बहुधा बाधित हो रही है। शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों से मेरी यही अपेक्षा है कि वे अनुसंधान एवं साहित्य सृजन में मौलिकता तथा नवाचार को सदैव एकीकृत करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति को मई, 2016 में मंजूर किया गया। इसमें समाज के सभी वर्गों में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के आर्थिक-सामाजिक और सांस्कृतिक लाभों के प्रति जागरूकता पैदा करना, बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के सृजन को बढावा देना एवं सेवा आधारित बौद्धिक सम्पदा अधिकार से प्रशासन को आधुनिक और मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि सम्पदा वह है जो किसी व्यक्ति या समूह के पास मौजूद होती है, जिसका वह स्वयं या दूसरा उपयोग करता है तथा दूसरों को हस्तांतरित करने का अधिकार रखता है। बौद्धिक सम्पदा का अधिकार किसी की बौद्धिक उपादेयता एवं संरचना को सुरक्षित रखने का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि समृद्ध एवं शक्तिशाली भारत के निर्माण के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की पहुंच जन-जन में होनी आवश्यक है। भारत की प्रथम विज्ञान नीति, 1958 में जन-जन तक विज्ञान की व्याप्ति को बढ़ाने का आग्रह किया गया। इस देश के युवा तर्क सम्मत हों, विज्ञान सम्मत् हों, जिससे जय जवान, जय किसान एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का जय विज्ञान उद्घोष सर्वत्र विद्यमान रहे। उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि सदियों से जो शक्तियाँ देश में परिवर्तन की सूत्रधार रही हैं, उनका उद्भव शिक्षा संस्थाओं और विश्वविद्यालयों से हुआ है। आज, जबकि हमारा देश क्रान्तिकारी आर्थिक, सामाजिक एवं तकनीकी के परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, यह आवश्यक है कि विश्वविद्यालयों को आगे आकर नई पीढ़ी के मानस पटल को सही दिशा में मोड़ने और उन्हें समाज को इक्कीसवीं सदी में और आगे ले जाने की अगुवाई करने के लिए बौद्धिक रूप से सक्षम बनाने की ऐतिहासिक भूमिका का निर्वाह करना है। अध्यक्षीय उद्बोधन में विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूश रंजन अग्रवाल ने कहा कि षिक्षकों को भी अपने युवा षोधार्थियों से सीखने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा जब षोध के लिए काम षुरू करता है तो उसके अपने विचार होते हैं और अपनी सोच होती है। संभव है यही सोच आगे चलकर एक अच्छा मार्ग प्रषस्त करे। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमें विकसित देषों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। इसके लिए हमें खुद अन्वेशण की तरफ आगे बढ़ना चाहिए। साथ ही बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण के लिए सदैव जागरूक रहना चाहिए। संगोश्ठी में बतौर विशय विषेशज्ञ आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन ने भारतीय पेटेंट एक्ट 1970, कॉपी राइट एक्ट के विभिन्न आयामों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि पेटेंट से हम अपनी खोज को सबके सामने लाते हैं और हमारा अधिकार उस पर रहता है। पष्चिमी देषों की भांति हमारे देष में भी यदि बौद्धिक सम्पदा अधिकार के प्रति जागरूकता बढ़े तो बहुत सारे ज्ञान को हम अपना कह सकेंगे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिशद उत्तर प्रदेष की संयुक्त निदेषक डॉ. षषि राना ने परिशद की कार्यप्रणाली पर विस्तारपूर्वक प्रकाष डाला। उन्होंने कहा कि षोधार्थियों एवं षिक्षकों में बौद्धिक सम्पदा अधिकार के प्रति निरंतर जागरूकता के लिए प्रयास किया जा रहा है। षैक्षिक संस्थानों के साथ ही साथ व्यक्तिगत षोध करने वालों को भी इसकी सुविधा उपलब्ध कराना हमारा उद्देष्य है। उन्होंने पेटेंट कराने की प्रक्रिया को भी बताया। वाणिज्य मंत्रालय नई दिल्ली के सुमित कुमार ने बौद्धिक सम्पदा अधिकारी 2016 पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा आईपीआर पॉलिसी 2016 पारित की गयी हैं जिसमें रचनात्मक भारत की कल्पना है। जिससे आने वाले समय में षोध एवं नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ बौद्धिक सम्पदा का संरक्षण होगा। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. राजेष षर्मा ने किया। स्वागत प्रो. डीडी दूबे एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. बीबी तिवारी द्वारा किया गया। इस अवसर पर वित्त अधिकारी एमके सिंह, कुलसचिव डॉ. देवराज, उप कुलसचिव संजीव सिंह, टीबी सिंह, डॉ. अजय प्रताप सिंह, डॉ. एके श्रीवास्तव, डॉ. मानस पाण्डेय, डॉ. अविनाष पाथर्डीकर, डॉ. मनोज मिश्र, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. एसपी तिवारी, डॉ. वन्दना राय, डॉ. आषुतोश सिंह, डॉ. रजनीष भाश्कर, डॉ. सौरभ पाल, डॉ. संजीव गंगवार, डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. रूष्दा आजमी, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. विवेक पाण्डेय समेत षिक्षक व षोधार्थी उपस्थित रहे।