निजी अस्पताल में प्रसव पर भी मिलेगा धन


    जौनपुर। प्रसव के दौरान महिला की मौत के आकड़े कम करने के लिए एनएचएम की ओर से जननी सुरक्षा योजना चलाई जा रही है। सरकारी आकड़े बताते हैं कि प्रदेश में मातृ मृत्यु दर 258 है। यानी प्रदेश में हर साल प्रसव के दौरान एक लाख में से 258 महिलाओं की मौत हो जाती है। इन मौतों को रोकने के लिए एनएचएम की ओर से जननी सुरक्षा योजना चलाई गई। माना जाता है कि गाव में रहने वाली आबादी अब भी प्रसव के लिए दाई पर निर्भर है। इसके अलावा गावों में दुकानें चला रहे झोलाछाप भी प्रसव करा रहे हैं। इनके अनट्रेंड होने के चलते गर्भवती की मौत हो जाती है। इस योजना का मकसद गाव में गर्भवती की सही देखभाल और सुरक्षित प्रसव कराना है। इसके लिए एएनएम और आशा को जिम्मेदारी सौंपी गई है। गाव में महिला के गर्भवती होते ही आशा और एएनएम उसका रिकार्ड रखना शुरू कर देती हैं। उसे समय-समय पर आयरन और कैल्शियम की गोलियां देती हैं। उसकी नियमित जाच कराती हैं। प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल तक ले जाती हैं। सुरक्षित प्रसव होने पर एएनएम को 200 और आशा को 300 रुपये प्रोत्साहन राशि मिलती है। अब एनएचएम ने उच्च जोखिम प्रसव के मामलों में गर्भवती का प्रसव निजी अस्पतालों में भी कराने की सुविधा कर दी है। ऐसे केस में आशा या एएनएम गर्भवती को निजी अस्पताल में भी प्रसव के लिए ले जा सकती है। हाई रिस्क डिलीवरी वाले मामलों में एएनएम और आशा पंजीकृत निजी अस्पतालों में भी गर्भवती को प्रसव के लिए ले जा सकेंगी। सुरक्षित प्रसव होने पर दोनों की प्रोत्साहन राशि में कोई कटौती नहीं होगी। इसका मकसद सिर्फ सुरक्षित प्रसव कराना है, ताकि मा और बच्चे को कोई खतरा न रहे।

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