विदेशी पौधे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए घातक
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जौनपुर। शहर में तेजी से बढ़ते प्रदूषण और वाहनों के धुएं का गुबार भले ही लोगों को विचलित किए हुए हो, लेकिन कुछ ऐसे ही खतरे की जमीन हम भी शहर में तैयार कर रहे हैं। जो पर्यावरण और हमारी सेहत को खतरे की ओर तेजी से धकेल रही है।घर और बगीचों का सजाने के लिए अब बड़ी संख्या में ऐसे विदेशी पौधों का प्रयोग किया जा रहा है, जो देखने में तो आकर्षित है। लेकिन इन्हें घर और बगीचे में लगाने से जहां यह पौधे आसपास के वातावरण को दूषित करते है, वहीं इनका हमारी सेहत पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इन पौधों में साइकस पॉम, ऐरोकेरिया और चाइना पॉम के अलावा फाइकस जैसे पौधों की अब शहर में भरमार है। जो देखने में तो खूबसूरत लेकिन सेहत के लिए हानिकारक है। वनस्पति विज्ञान के शिक्षकों का कहना है कि लोग घरों और बगीचों के लिए इन पौधों को बड़ी संख्या में लगा रहे हैं, इनकी खूबसूरती लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। लेकिन यही स्थिति रही तो पर्यावरण में असंतुलन और अधिक बढ़ जाएगा। लोग अपने घर और बगीचों की शोभा बढ़ाने के मोह में इनकी नुकसान को अनदेखा कर रहे हैं, जो उनकी सेहत को बिगाड़ रहा है। बताया कि यह पौधे किसी भी भौगोलिक परिवेश में जल्दी ही पनप जाते है और इनकी देखभाल भी अधिक नहीं करनी पड़ती है। इसलिए लोग इन्हें अधिक संख्या में घरों में लगाना पसंद करते हैं। आजकल शहर में डेफिन बेकिया पौधा खूब लगाया जा रहा है। लेकिन लोगों को इस जहरीले पौधे के बारे में जानकारी नहीं है, इसे यदि गलती से खा लिया जाए तो मृत्यु तक हो सकती है। ऐसे ही यूफोरबिया मिली नाम का पौधा आंखों को नुकसान पहुंचाता है। बताते हैं कि पर्यावरण के प्रति ये पौधे लाभदायक नहीं है। अभी नहीं लेकिन कुछ वर्षो बाद इन पौधों से पर्यावरण में असंतुलन दिखाई देने लगेगा, क्योंकि लोग अब इस प्रकार के पौधे अधिक लगाना पसंद करते हैं। साथ ही इन पौधों पर भोजन नहीं होता और इनकी पत्तियां भी चिकनी होती है। इसलिए इन पर पक्षी भी नहीं बैठते है। जबकि देसी पौधों की पत्तियां खुदरी होती है। जिस पर पक्षी आसानी से बैठते है। इससे पर्यावरण में असंतुलन बढ़ेगा और लोगों की सेहत भी बिगड़ेगी। डेफिन बेकिया नामक पौधा जहरीला होता है। जबकि यूफोरबिया आंखों के लिए हानिकारक है। फाइकस बैंजामिना जमीन को बंजर कर देता है। जैट्रोफाकुरकास बायोडीजल प्लांट है। पीला कनेर का फल जहरीला होता है।