शोध पत्र लेखन मौलिक होना चाहिए : डॉ. रवि
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जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान स्थित
शोध एवं नवाचार केन्द्र में मंगलवार को विवेकानन्द केन्द्रीय पुस्तकालय एवं
स्प्रिंगर नेचर के संयुक्त तत्वावधान में शोध पत्र लेखन पर कार्यशाला का
आयोजन किया गया। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने शोध पत्र लेखन के विविध
आयामों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। कार्यशाला में बतौर विषय विशेषज्ञ मुंबई
के डॉ. रवि मुरूगेशन ने कहा कि शोध पत्र लेखन एक कला है और आज के
वैज्ञानिक युग में इसके लेखन की बारीकियों को जानना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि एक शोध पत्र लेखन मौलिक होना चाहिए। शोधार्थियों को सदैव
यह ध्यान रखना चाहिए कि उन्होंने अध्ययन क्यों किया, अध्ययन में क्या किया,
क्या पाया और इससे ज्ञान में क्या वृद्धि हुई। इन सवालों का जवाब पाठक
चाहता है। उन्होंने कहा कि शोधार्थियों को प्रतिदिन 30 मिनट पढ़ने की आदत
डालनी चाहिए। इसके साथ ही शोध पर अपने सहयोगियों एवं विषय विशेषज्ञों के
साथ सदैव चर्चा करते रहना चाहिए जिससे नया दृष्टिकोण पैदा होता है। आज
वैश्विक स्तर पर बहुत सारे शोध एवं जर्नल क्लब स्थापित हैं जो शोधार्थियों
एवं शिक्षकों के आपसी विचार-विमर्श के लिए आवश्यक है।
स्प्रिंगर नेचर के लाइसेंसिंग मैनेजर कुंज वर्मा एवं मार्केटिंग मैनेजर सुरभि धमीजा ने भी कार्यशाला में अपनी बात रखी।
विवेकानन्द
केन्द्रीय पुस्तकालय के मानद अध्यक्ष डॉ. मानस पाण्डेय ने स्वागत एवं विषय
विशेषज्ञ को स्मृति चिन्ह भेंट किया। उन्होंने कार्यशाला का विषय प्रवर्तन
करते हुए कहा कि शोधार्थियों को अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप शोध लेखन के
लिए गंभीर लेखन एवं जागरूक होने की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन डॉ.
विद्युत मल एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अविनाश पाथर्डीकर ने किया।
इस
अवसर पर डॉ. अजय प्रताप सिंह, डॉ. वन्दना राय, डॉ. रामनरायन, डॉ. मनोज
मिश्र, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. रसिकेश, डॉ. एसपी
तिवारी, डॉ. मुराद अली, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. नुपूर तिवारी, डॉ. अवध
बिहारी सिंह, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. आलोक कुमार सिंह, डॉ. प्रवीण सिंह, डॉ.
प्रमेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।