दूसरो की जान बचाने वालो पर ही मडरा रहे है मौत के बादल
https://www.shirazehind.com/2017/03/blog-post_714.html
जौनपुर। शासन प्रशासन की उदासीनता के कारण दूसरो की जान बचाने वाले स्वास्थ विभाग के 165 कर्मचारियों के सिर पर मौत के बादल मडरा रहे है। ये कर्मचारी दिन हो रात 24 घंटे मरीजो का इलाज करके उनकी जान बचाने का कार्य करते है। इन स्टाफो के लिए बनाया गया आवास इस कदर जर्जर हो गया है कि किसी भी समय धराशायी होकर कर्मचारियों की कब्र बन सकती है। अस्पताल प्रशासन का रोना है इन आवासो की मरम्मत कराने के लिए शासन से बीस लाख रूपये की मांग किया गया था लेकिन मात्र दस लाख रूपये मिला है।
जिला अस्पताल के परिसर में करीब 25 वर्ष पूर्व अस्पताल के तृतीय श्रेणी के कर्मचारियो के लिए 20 फ्लैट और बीस कमरो का निमार्ण हुआ था। गुणवक्ता में भारी कमी के कारण मात्र 25 वर्ष में ही सभी आवास खण्डहर में तब्दील हो चुका इन आवासो को आप खुद अपनी आंखो से देख सकते है यह आवास आप के रहने लायक है आप का यही जवाब होगा कि नही। लेकिन इन आवासो मंे स्टाफ नर्स फर्मासिस्ट लैब टेक्निशियन क्र्लक समेत 165 कर्मचारियो का परिवार रहता है। ये लोग दिन हो रात कड़ी मेहनत करके मरीजो की जान बचाते है। शासन प्रशासन की घोर लापरवाही के कारण ये लोग मजबूरी में इसी आवासो में रहते है।
इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा0 एस के पाण्डेय से बात किया गया तो उनका अलग ही रोना है। उन्होंने शिराज़ ए हिन्द डॉट कॉम से बातचीत करते हुए बताया कि हमारे द्वारा शासन को लिखित रूप से अवगत कराकर मरम्मत कराने के लिए बीस लाख रूपये की मांग किया गया था। लेकिन मात्र दस लाख रूपये स्वीकृत हुआ है। उसी पैसे से मरम्मत कराया जा रहा है।
जिला अस्पताल के परिसर में करीब 25 वर्ष पूर्व अस्पताल के तृतीय श्रेणी के कर्मचारियो के लिए 20 फ्लैट और बीस कमरो का निमार्ण हुआ था। गुणवक्ता में भारी कमी के कारण मात्र 25 वर्ष में ही सभी आवास खण्डहर में तब्दील हो चुका इन आवासो को आप खुद अपनी आंखो से देख सकते है यह आवास आप के रहने लायक है आप का यही जवाब होगा कि नही। लेकिन इन आवासो मंे स्टाफ नर्स फर्मासिस्ट लैब टेक्निशियन क्र्लक समेत 165 कर्मचारियो का परिवार रहता है। ये लोग दिन हो रात कड़ी मेहनत करके मरीजो की जान बचाते है। शासन प्रशासन की घोर लापरवाही के कारण ये लोग मजबूरी में इसी आवासो में रहते है।
इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा0 एस के पाण्डेय से बात किया गया तो उनका अलग ही रोना है। उन्होंने शिराज़ ए हिन्द डॉट कॉम से बातचीत करते हुए बताया कि हमारे द्वारा शासन को लिखित रूप से अवगत कराकर मरम्मत कराने के लिए बीस लाख रूपये की मांग किया गया था। लेकिन मात्र दस लाख रूपये स्वीकृत हुआ है। उसी पैसे से मरम्मत कराया जा रहा है।