बीमारी को बढ़ावा दे रहा बदलता मौसम
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जौनपुर। ठंड का मौसम ढलान पर है। धीरे-धीरे गर्मी की शुरूआत हो रही है। दिन में गर्मी लगती है तो रात में ठंड। अधिकतम व न्यूनतम तापमान में काफी अंतर देखा जा रहा है। यह सिलसिला लंबे समय से जारी है। तापमान में उतार चढ़ाव सेहत पर भी असर डाल रहा है। अस्पतालों में इन दिनों वायरल फीवर, श्वांस, सर्दी-खांसी के मरीजों की लंबी कतार है। जिला अस्पताल से लेकर निजी चिकित्सकों की ओपीडी में ऐसे मरीज बड़ी तादाद में पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल में बीते कई दिनों से ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों में से 35 से 40 फीसद वायरल फीवर, सर्दी-खांसी, सांस की बीमारियों के हैं। दमा के मरीजों की परेशानी अधिक बढ़ी है। ज्ञात हो कि श्वांस संबन्धी रोग दो तरह के होते हैं। पहला एक्यूट अपर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन जिसमें बुखार होना, थूक निगलने में परेशानी, आवाज में भारीपन या बोलने में परेशानी, नाक का बहना, बार-बार छींक आना, गले में खराश व दर्द, सांस लेने में दिक्कत, कान में दर्द, शरीर में अकड़न व दर्द, सुस्ती व सिर में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं।दूसरा एक्यूट लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन में छाती में जलन के साथ खांसी, सीने में दर्द, सांस का फूलना जैसे लक्षण हो सकते हैं। मरीज को निमोनिया की आशंका हो सकती है। यह बीमारिया विभिन्न विषाणुओं व बैक्टीरिया के संक्रमण से होती हैं। हालांकि तापमान में उतार-चढ़ाव के समय वायरल इन्फेक्शन ही अधिक होते देखे जाते हैं लेकिन इनके गंभीर होने की वजह बैक्टीरिया ही होते हैं। सर्द-गर्म के कारण होने वाली अन्य बीमारियों में चेचक, मलेरिया, खसरा इत्यादि शामिल है। यदि दिन में सूखी गर्मी होती है तो वातावरण में पानी की कमी होती है। ऐसे में शरीर की चमड़ी सूख जाती है, होठ सूखने के कारण फट जाते हैं। सुस्ती महसूस होती है। इसके अलावा एसिडिटी के कारण पेट में जलन तथा खट्टी डकार आने की शिकायत भी हो सकती है।ऐसे में कोई भी शिकायत होने पर चिकित्सक की सलाह से दवा लेनी चाहिए। लेकिन छोटे बच्चों के मामले में अधिक सावधानी बरतनी चाहिये। लापरवाही से पांच वर्ष से कम की उम्र के बच्चों में बीमारी बिगड़ सकती है और निमोनिया भी हो सकता है। अगर बच्चे की तबीयत खराब हो और खांसी होने के बाद तेज सांस या पसली चलने लगे तो तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिये। रोगों से बचाव के बारे में मौसम के अनुसार कपड़ों का ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा पर्याप्त पोषक आहार भी लेना चाहिए।