जलती चिताओ के बीच नगर वधुओं ने जमकर किया डांस

 वाराणसी  काशी के महाश्मशान मणि‍कर्णिका घाट पर सोमवार की रात जलती चिताओं के सामने नगर वधुओं ने डांस किया। इस दौरान 350 सालों में पहली बार कोई डीएम अपनी पत्नी के साथ प्रोग्राम में शामिल हुआ। यही नहीं आज तक देश का कोई बड़ा सिंगर भी नगर वधुओं के बीच नहीं पहुंचा था, लेकिन पद्मश्री सिंगर डॉ. सोमा घोष ने यहां पहुंच अपने गीतों पर आधी रात तक नगर वधुओं को नचाया। बता दें, नवरात्र के सप्तमी के दिन अनूठी परंपरा में नगर वधुएं चिताओं के सामने नाचती हैं।
'एक दिन कस्टमर नहीं, भगवान से मांगते हैं मुक्ति'
- नगर वधु सोनी ने बताया, साल में एक दिन भगवान से कस्टमर नहीं, मुक्ति मांगते हैं।
- सोनी ने कहा, हम भूखे न मरे इसलिए वो सब काम करते हैं, जिसे समाज स्वीकार नहीं करता।
- मशान नाथ मंदिर, साल में एक बार ऐसी जगह मिलती है, जहां समाज हमें खुद साधना को बुलाता है।
- नर्क के जीवन में हमें कोई जान जाए तो मंदिर में भी दूरी, लेकिन आज के दिन हमें देखने-सुनने सभ्य समाज आता है और दुआ भी देता है।
परिवार चलाने के लिए शुरू किया पार्टि‍यों में डांस
- मुंबई से आयी नैना ने बताया, कभी परिवार को चलाने के लिए वो पार्टियों में डांस करती थी। हाई प्रोफाइल समाज ने बार डांसर बना दिया।
- आज हमें लोग समाज स्त्री नहीं मानते, बल्कि समाज से छि‍पकर इंटरटेंमेंट का साधन समझते हैं। हम 24 घंटे बीमारी के खौफ में जीते हैं। जिंदगी की यातनाओं, दुखों और समाज के दुत्कार को झेलते हुए हम रोज मरते हैं।
- मणिकर्णिका घाट पर जलती लाशों के सामने डांस कर यही लगता है कि बाबा ऐसे ही हमें मुक्ति दे दें।
हमारी आत्मा नहीं देखता कोई, सब देखते हैं तन
- सासाराम से आयी गुड़िया ने बताया, हमारे अंदर की आत्मा और दिल को कोई नहीं देखता, बल्कि हमारे तन को देखकर समाज में लोग सुख का एहसास करते हैं।
- कोई लड़की नहीं चाहती कि शादी से पहले उसके शरीर को कोई छुए, लेकिन यहां हम इस जिंदगी में तो रोज भगवान से यही मानते है कि रोज लोग छूने आएं।
- कभी भगवान ऐसी सुनता है कि कस्टमर की भरमार रहती है, कभी हफ्तों भूखे ही गुजारना पड़ता है।

क्या कोई हमारी जिंदगी बदल पाएगा ?
- एक नगर वधु से अपना नाम ही नहीं बताया। उसने कहा कि नाम कौन पूछता है। ग्राहक तो हमारे सीने और चेहरे को देखकर पसंद करते हैं।
- कोई अखबारों में लिखकर या छापकर क्या हमारी जिंदगी बदल पाएगा?
- सरकार कोई भी हो, आज भी सरकारी आदमी, सरकारी अस्पताल, सरकार का मंत्री, सरकार का स्कूल अगर हमारे बारे में जान जाए तो परछाई से दूर भागता या भगा देता है।
- बाबा के यहां नृत्य करने को हम साल भर इंतजार करते हैं। हम नहीं रहेंगे तो कोई जान भी नहीं पायेगा कि भारत की इतनी बड़ी एकलौती संस्कृति का हिस्सा हम हैं।
सभार - भाष्कर

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