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फाइल फोटो |
जौनपुर। जिले के अधिकांश प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक परिषदीय विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना के मीनू का अनुपालन नहीं होने से बच्चों को भरपेट खिचड़ी भी नसीब नहीं हो रहा है। मीनू के अनुसार इन बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की नीयत से सरकार ने मिड-डे-मील योजना आरंभ की थी कितु यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। बच्चों से अगर पूछा जाय तो विद्यालय में कौन सा खाना मिलता है तो वह खिचड़ी छोड़ कर किसी अन्य भोजन का नाम तक नहीं जानते हैं। जानकार लोग बताते हैं कि विभागीय मिलीभगत से वास्तविक छात्रों से अधिक का राशन व मार्जिन मनी विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा प्राप्त किया जाता है और खाना के नाम पर हल्दी व चावल से बनी खिचड़ी परोस दिया जाता है। बड़ी बात है कि वह भी आधा पेट ही मिलता है। इसमें बच्चे अगर उसी भोजन पर निर्भर रहें तो निश्चित तौर पर वे कुपोषण के शिकार हो जाएंगे। दूसरी तरफ मान्यता व सहायता प्राप्त पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों को भोजन मिलता ही नहीं है। वजह इन विद्यालयों में मिड-डे-मील बनता ही नहीं है। ऐसे में मिड डे मील यहां बस नाम का ही चल रहा है।