मानक 60 का, 80 किमी प्रति घण्टा फर्राटा भरती है रोडवेज बसे

जौनपुर। रोडवेज बसों को साठ किलोमीटर प्रति घंटा ही दौड़ाने का मानक है। पर इस नियम कायदे को धता बता कर रोडवेज बसों को 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा दौड़ाया जाता है। अधिकारियों की माने तो स्पीड कंट्रोल करने के लिए इंजन को सेट किया जाता है, पर सड़कों पर फर्राटा भरती बसों को देख कर स्पीड का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।आलम यह है कि जिल में तमाम चालकों को कई बार ड्यूटी भी नहीं मिल पाती है या वे आते नहीं हैं। लिहाजा कम चालक ही इन बसों का संचालन करते हैं। कई चालकों को 16 से 20 घंटे तक बस चलानी होती है। ऐसे में चालक कई बार नींद की झपकी लेने के साथ ही बस दौड़ाता रहता है, और जरा सी चूक हादसे का सबब बन जाती है। अफसरों की माने तो फ्यूल इंजेक्शन पंप के जरिए 70 एवं 75 किलोमीटर प्रति घंटा स्पीड ही बसों में रखी जाती है। जबकि  अब बन गयी सड़कों पर रोडवेज चालक 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से बसों को दौड़ाते हैं। गति सीमा पर नियंत्रण के लिए फिलहाल निगम के पास कोई ठोस सिस्टम नहीं है।  विभाग के अधिकारी कहते है कि फ्यूल इंजेक्शन पंप से रेस बांध दी जाती है। बसें तय की गई गति मानक पर ही चल रही है। विगत सप्ताह जिले के सिकरारा थाना क्षेत्र के सई नदी पर बरगूदर पुल पर रोडवेज बस का हादसा हुआ और आठ लोग उसमें असमय मौत का शिकार हो गये।
जौनपुर। रोडवेज बसों को साठ किलोमीटर प्रति घंटा ही दौड़ाने का मानक है। पर इस नियम कायदे को धता बता कर रोडवेज बसों को 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा दौड़ाया जाता है। अधिकारियों की माने तो स्पीड कंट्रोल करने के लिए इंजन को सेट किया जाता है, पर सड़कों पर फर्राटा भरती बसों को देख कर स्पीड का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।आलम यह है कि जिल में तमाम चालकों को कई बार ड्यूटी भी नहीं मिल पाती है या वे आते नहीं हैं। लिहाजा कम चालक ही इन बसों का संचालन करते हैं। कई चालकों को 16 से 20 घंटे तक बस चलानी होती है। ऐसे में चालक कई बार नींद की झपकी लेने के साथ ही बस दौड़ाता रहता है, और जरा सी चूक हादसे का सबब बन जाती है। अफसरों की माने तो फ्यूल इंजेक्शन पंप के जरिए 70 एवं 75 किलोमीटर प्रति घंटा स्पीड ही बसों में रखी जाती है। जबकि  अब बन गयी सड़कों पर रोडवेज चालक 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से बसों को दौड़ाते हैं। गति सीमा पर नियंत्रण के लिए फिलहाल निगम के पास कोई ठोस सिस्टम नहीं है।  विभाग के अधिकारी कहते है कि फ्यूल इंजेक्शन पंप से रेस बांध दी जाती है। बसें तय की गई गति मानक पर ही चल रही है। विगत सप्ताह जिले के सिकरारा थाना क्षेत्र के सई नदी पर बरगूदर पुल पर रोडवेज बस का हादसा हुआ और आठ लोग उसमें असमय मौत का शिकार हो गये।

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