मानसून की खामोशी बढ़ा रही किसानों की चिन्ता
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जौनपुर। मौसम का बदला मिजाज उमस और राहत के रूप में मिलाजुला रहा। दोपहर तक तेज धूप व गर्म हवाओं से लोग पसीना-पसीना रहे। लेकिन बाद में बादलों की छांव और हवाओं की नरम पड़ी तासीर से शाम को हल्की बारिश से कुछ राहत हुई। पिछले कई दिनों से ऐसा ही मौसम चल रहा है। लेकिन मानसून का जोरदार आगाज न होने से लोगों की चिताएं भी बढ़ रही हैं।
जून माह का एक सप्ताह शेष बचा है। किसानों की मानें तो इस महीने कम से कम इतनी बारिश तो होनी ही चाहिए कि खेतों की जुताई और धान की रोपाई के लिए नर्सरी डालने का काम शुरू हो जाए। लेकिन अभी तक मानसून का जोरदार आगाज नहीं हुआ। अभी तक बारिश की जो स्थिति है तो कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में जरूर कहीं-कहीं बरसात भिगो चुकी है। लेकिन ज्यादातर हिस्सा सूखा पड़ा है। इससे लोग गर्मी से तो परेशान हैं ही लेकिन सबसे ज्यादा असर खेती कार्य पर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। जनपद में अभी भी ज्यादातर किसानों की खेती वर्षा आधारित है। लिहाजा समय से बारिश न हुई तो खेती पर इसका असर जरूर पड़ता है। किसानों का कहना है कि जून माह का एक सप्ताह ही शेष बचा है। अब मानसून तेजी के साथ सक्रिय हो और जोरदार बारिश हो तभी खेती का कार्य जोर पकड़ेगा। जानकारों को कहना है कि मानसूनी बारिश की शुरुआत होना जरूरी है। क्योंकि ज्यादातर क्षेत्रों में जुताई व नर्सरी डालने का काम अभी रुका है। मौसम के मिले जुले असर के चलते शुक्रवार को दिन में लोग पहले गर्मी से तपते रहे शाम को मौसम बदला तो सन्नाटे वाले स्थान भी चहल-पहल में बदल गए।
जून माह का एक सप्ताह शेष बचा है। किसानों की मानें तो इस महीने कम से कम इतनी बारिश तो होनी ही चाहिए कि खेतों की जुताई और धान की रोपाई के लिए नर्सरी डालने का काम शुरू हो जाए। लेकिन अभी तक मानसून का जोरदार आगाज नहीं हुआ। अभी तक बारिश की जो स्थिति है तो कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में जरूर कहीं-कहीं बरसात भिगो चुकी है। लेकिन ज्यादातर हिस्सा सूखा पड़ा है। इससे लोग गर्मी से तो परेशान हैं ही लेकिन सबसे ज्यादा असर खेती कार्य पर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। जनपद में अभी भी ज्यादातर किसानों की खेती वर्षा आधारित है। लिहाजा समय से बारिश न हुई तो खेती पर इसका असर जरूर पड़ता है। किसानों का कहना है कि जून माह का एक सप्ताह ही शेष बचा है। अब मानसून तेजी के साथ सक्रिय हो और जोरदार बारिश हो तभी खेती का कार्य जोर पकड़ेगा। जानकारों को कहना है कि मानसूनी बारिश की शुरुआत होना जरूरी है। क्योंकि ज्यादातर क्षेत्रों में जुताई व नर्सरी डालने का काम अभी रुका है। मौसम के मिले जुले असर के चलते शुक्रवार को दिन में लोग पहले गर्मी से तपते रहे शाम को मौसम बदला तो सन्नाटे वाले स्थान भी चहल-पहल में बदल गए।